सीजी भास्कर, 1 नवंबर। भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं (Indian Health Services) में हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा (AIIMS Hindi Prescription Rule) देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में डॉक्टर दवाओं के नाम पर्चे पर अंग्रेजी की जगह हिंदी में लिखेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने इसके लिए सभी संबंधित संस्थानों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
मंत्रालय के मुताबिक, यह कदम मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में उठाया गया है। अब जब भी मरीज अस्पताल में आएंगे, डॉक्टर उन्हें दवाओं के नाम और उपयोग हिंदी भाषा में लिखकर समझाएंगे (AIIMS Doctors Hindi Prescription)। इससे उन मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी, जो अंग्रेजी नहीं जानते और दवाओं के नाम पढ़ने में दिक्कत महसूस करते हैं।
पर्चे से लेकर प्रशासनिक काम तक होगा हिंदी का उपयोग
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह बदलाव केवल दवा के पर्चे (Medical Prescription) तक सीमित नहीं रहेगा। अस्पतालों के रोजमर्रा के कामकाज, नोटिंग, मरीजों से संवाद और विभागीय रिकॉर्ड में भी अब हिंदी का उपयोग बढ़ाया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि यह कदम स्वास्थ्य प्रणाली को जनभाषा के करीब (AIIMS Hindi Policy) लाने के लिए उठाया गया है।
मेडिकल छात्रों के लिए भी बड़ा बदलाव
निर्देश में यह भी कहा गया है कि अब मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए किताबें और अध्ययन सामग्री हिंदी भाषा में भी उपलब्ध कराई जाएगी। इससे हिंदी में रिसर्च और अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि हिंदी का उपयोग वैकल्पिक रहेगा, यानी छात्रों पर इसे अपनाने का कोई दबाव नहीं होगा।
सरकारी दस्तावेजों में भी हिंदी को बढ़ावा
मंत्रालय ने सरकारी संस्थानों में पत्राचार और दस्तावेज़ी कार्यों में भी हिंदी को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। यदि कोई पत्र अंग्रेजी में प्राप्त होता है, तो उसका उत्तर हिंदी में देने का प्रयास किया जाएगा (Health Ministry Hindi Directive) और आवश्यक होने पर अंग्रेजी अनुवाद संलग्न किया जा सकता है। इससे मंत्रालय और अस्पतालों के बीच संवाद अधिक पारदर्शी और सरल बनेगा।
मरीजों के लिए राहत, भाषा बनेगी सेतु
सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में भाषाई समावेशन (AIIMS Language Reform) को बढ़ाएगा, बल्कि मरीजों और डॉक्टरों के बीच संवाद को भी अधिक सहज बनाएगा। मंत्रालय को उम्मीद है कि इस पहल से भारतीय भाषाओं को चिकित्सा क्षेत्र में नई पहचान मिलेगी और स्वास्थ्य सेवाएं आम नागरिकों की भाषा में और अधिक सुलभ होंगी।
