सीजी भास्कर, 13 मार्च । बस्तर के गंगालूर एरिया कमेटी के अंतर्गत सक्रिय 17 नक्सलियों (17 Naxals surrender) ने हिंसा का रास्ता छोड़कर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में 24 लाख रुपये के इनामी 9 नक्सली शामिल हैं। इनमें DVCM, ACM, मिलिशिया प्लाटून कमांडर, जनताना सरकार अध्यक्ष, डीएकेएमएस अध्यक्ष, पार्टी सदस्य और अन्य पदाधिकारी शामिल हैं।
DVCM दिनेश मोडियम ने अपनी पत्नी ज्योति ताती (ACM) के साथ आत्मसमर्पण किया। इन पर लंबे समय से कई संगीन अपराध दर्ज थे। वर्ष 2025 में अब तक 65 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, 137 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं और 56 नक्सली अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए हैं।
छत्तीसगढ़ पुलिस के नक्सल उन्मूलन अभियान, छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति और “नियद नेल्ला नार” योजना से प्रभावित होकर 17 नक्सलियों ने 13 मार्च को आत्मसमर्पण किया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों और शासन की पुनर्वास योजनाओं से प्रभावित होकर ये सभी समाज की मुख्यधारा में लौटे (17 Naxals surrender) हैं।
इनामी नक्सली जो हुए सरेंडर (17 Naxals surrender)
दिनेश मोडियम उर्फ बदरू मोडियम (DVCM) – 8 लाख
ज्योति ताती उर्फ कला मोडियम (ACM) – 5 लाख
दुला कारम (ACM/गंगालूर एलओएस कमांडर) – 5 लाख
भीमा कारम (मिलिशिया प्लाटून ए सेक्शन कमांडर) – 1 लाख
शंकर लेकाम (जनताना सरकार अध्यक्ष) – 1 लाख
सोमा कारम (डीएकेएमएस अध्यक्ष) – 1 लाख
मंगू कड़ती (मिलिशिया प्लाटून कमांडर) – 1 लाख
मोती कारम (केएएमएस अध्यक्ष) – 1 लाख
अरविंद हेमला उर्फ आयतू हेमला (पार्टी सदस्य) – 1 लाख
इसके अलावा अन्य 8 नक्सली भी संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
अत्याचार से परेशान होकर लौटे मुख्यधारा में (17 Naxals surrender)
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि संगठन में भेदभावपूर्ण व्यवहार, शीर्ष नेतृत्व द्वारा ग्रामीणों के शोषण और लगातार बढ़ती पुलिस दबिश के कारण उन्होंने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया। DVCM दिनेश मोडियम ने बताया कि संगठन के बड़े नेता आदिवासी युवाओं को बहला-फुसलाकर भर्ती करते हैं और उन्हें हिंसा के लिए मजबूर किया जाता है। जो भी विरोध करता है, उसे जन-अदालत में मौत की सजा दी जाती है।
सरकार की पुनर्वास नीति बनी प्रेरणा (17 Naxals surrender)
छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास और आत्मसमर्पण नीति ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है। सरकार द्वारा आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुनर्वास योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता, रोजगार और पुनः बसने की सुविधा दी जा रही है। आत्मसमर्पण करने वालों को 25,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है।
पुलिस की अपील : हिंसा छोड़ें, विकास से जुड़ें
बीजापुर के एसपी डॉ. जितेंद्र यादव ने कहा कि सरकार की पुनर्वास नीति के तहत नौकरी, घर, आर्थिक सहायता और पुनर्वास योजनाएं दी जा रही हैं, जिससे नक्सली प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सभी नक्सलियों से अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों और अपने परिवार के साथ सम्मानपूर्वक जीवन जिएं।
बस्तर में नक्सलवाद के अंत की ओर एक और कदम (17 Naxals surrender)
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि आत्मसमर्पण का यह सिलसिला बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लगातार हो रहे आत्मसमर्पण से नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं और आने वाले समय में और भी कई नक्सली सरेंडर कर सकते हैं।
नक्सल उन्मूलन अभियान में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ, कोबरा और केरिपु बलों की विशेष भूमिका रही। पुलिस और सुरक्षा बलों के निरंतर प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब विकास कार्यों की गति तेज हो रही है, जिससे ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिल रही है। आत्मसमर्पित नक्सलियों ने अपने साथियों से हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की है।