सीजी भास्कर, 16 अगस्त | छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल विस्तार की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व ने साय कैबिनेट को विस्तार की मंजूरी दे दी है और 21 अगस्त से पहले 3 नए मंत्री शपथ ले सकते हैं।
क्यों बढ़ी सियासी हलचल?
सीएम विष्णुदेव साय 21 अगस्त को जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर रवाना होंगे। इससे पहले ही कैबिनेट विस्तार की प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी है।
- साय मंत्रिमंडल अभी 14 सदस्यों का होगा।
- नए मंत्रियों में 2 संगठन से और 1 RSS की पसंद से शामिल होगा।
- मौजूदा मंत्रियों की कुर्सी और विभाग सुरक्षित रहेंगे।
तीन नए मंत्री, सामाजिक संतुलन पर फोकस
भाजपा संगठन का मानना है कि नए मंत्री चुनते समय क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन को प्राथमिकता दी जाएगी।
- एक मंत्री सामान्य वर्ग से
- दूसरा अनुसूचित जनजाति से
- तीसरा ओबीसी वर्ग से चुना जा सकता है।
संभावना है कि बिलासपुर, सरगुजा और दुर्ग संभाग से एक-एक चेहरे को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी।
मंत्री बनने की दौड़ में कौन-कौन?
सूत्रों के अनुसार, इन नेताओं के नाम सबसे आगे चल रहे हैं:
- बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल
- कुरुद विधायक अजय चंद्राकर
- दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव
- अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल
- आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब
इनमें से तीन विधायकों को शपथ दिलाई जा सकती है।
पुराने मंत्री सुरक्षित
पार्टी संगठन ने साफ संकेत दिए हैं कि मौजूदा मंत्रियों को हटाया नहीं जाएगा। उनके विभाग भी फिलहाल जस के तस रहेंगे।
इससे पहले चर्चाएं थीं कि लक्ष्मी राजवाड़े, दयालदास बघेल और टंकराम वर्मा की कुर्सी पर खतरा है, लेकिन फिलहाल ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।
संसदीय सचिवों की नियुक्ति भी जल्द
अगस्त में ही भाजपा सरकार संसदीय सचिवों और निगम-मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति कर सकती है।
माना जा रहा है कि इस बार अनुभव और युवा नेताओं के बीच संतुलन साधने की कोशिश होगी।
कांग्रेस का तंज
इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा है।
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा:
“भाजपा बीच-बीच में मसाला छोड़ती रहती है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार का साहस नहीं है। जैसे ही विस्तार होगा, सरकार की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी।”
उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है और कई वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी हो रही है, जिससे बगावत तय है।