रायपुर | अपडेटेड: 26 जून 2025
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पहली बार निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, समीर विश्नोई और सौम्या चौरसिया बुधवार को रायपुर स्थित ACB-EOW की विशेष अदालत में पेश हुए। इस सुनवाई में आरोपियों ने अदालत को बताया कि वे फिलहाल छत्तीसगढ़ के बाहर रह रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
रानू दिल्ली में, सौम्या बेंगलुरु में और समीर कानपुर में रह रहे
कोर्ट में पेशी के दौरान तीनों आरोपियों ने न्यायालय को सूचित किया कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर रह रहे हैं।
- रानू साहू ने बताया कि वे दिल्ली में अपने भाई के घर पर रह रही हैं।
- सौम्या चौरसिया इस समय बेंगलुरु में अपने भाई के साथ रह रही हैं।
- समीर विश्नोई कानपुर में अपने रिश्तेदार के यहां निवास कर रहे हैं।
सभी आरोपियों ने अदालत में हाजिरी दर्ज कराई और कोर्ट के आदेश पत्रक पर हस्ताक्षर किए।
अगली सुनवाई 23 जुलाई को, सूर्यकांत तिवारी गैरहाजिर
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 23 जुलाई तय की है। इस बीच, कोयला घोटाले के कथित मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी अदालत में पेश नहीं हुए। उन्हें अभी तक सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिली है, और विशेष कारणों के चलते उनकी अनुपस्थिति को स्वीकार किया गया।
कोर्ट में मौजूद रहना अनिवार्य, पासपोर्ट जमा
ईओडब्ल्यू में दर्ज अन्य मामलों के कारण सभी आरोपियों को कोर्ट में उपस्थिति दर्ज करानी पड़ी। सभी के पासपोर्ट विशेष अदालत में जमा हैं और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ में नहीं रह सकते। उन्हें जांच एजेंसियों और ट्रायल कोर्ट के समक्ष आवश्यकतानुसार हाजिर होना होगा।
क्या है 570 करोड़ का कोयला लेवी घोटाला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया कि जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में कोयले के हर टन पर ₹25 की अवैध वसूली की गई। यह अवैध लेवी राज्य के कुछ राजनेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से की गई थी।
खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर विश्नोई द्वारा ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने का आदेश 15 जुलाई 2020 को जारी किया गया था, जिसके बाद कोयला व्यापारियों से अवैध रूप से पैसे वसूले गए।
मास्टरमाइंड कौन?
इस घोटाले का मुख्य आरोपी कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया है। आरोप है कि केवल उन्हीं व्यापारियों को परमिट और ट्रांसपोर्ट पास दिए जाते थे जो 25 रुपये प्रति टन की लेवी अदा करते थे। यह पैसा सूर्यकांत तिवारी के स्टाफ द्वारा कैश में कलेक्ट किया जाता था। इस तरह से अनुमानित 570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली हुई।
कहां खर्च हुई ये अवैध कमाई?
ED की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवैध कमाई का उपयोग सरकारी अधिकारियों, नेताओं को रिश्वत देने, और चुनावी खर्चों को मैनेज करने के लिए किया गया। साथ ही इन पैसों से चल और अचल संपत्तियाँ खरीदी गईं, जिनकी जानकारी ईडी को जांच में मिली है।