सीजी भास्कर, 01 नवंबर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज दुर्ग के जंजगिरी पहुंच आदिवासी समाज द्वारा आयोजित गौरा गौरी पूजा में शामिल हुए। इस दौरान भूपेश बघेल ने प्रदेश की खुशहाली और मंगल कामना के लिए सोटा (चाबुक) प्रहार सहने की परंपरा निभाई।
गौरतलब हो कि दिवाली के दूसरे दिन प्रदेश में गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है। इस मौके पर कुम्हारी के जजंगिरी में गौरा गौरी की पूजा कर सोटा प्रहार झेलने की परंपरा निभाते हैं। हर साल इस कार्यक्रम में पूर्व सीएम भूपेश बघेल पहुंचते हैं। इस बार भी भूपेश बघेल जजंगिरी पहुंचे और छत्तीसगढ़वासियों की मंगल कामना के लिए चाबुक (सोटा) प्रहार झेलने की परंपरा निभाई। सोटा प्रहार में तीन बार भूपेश बघेल के हाथों में चाबुक मारा गया। इस परंपरा के निर्वहन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को दिवाली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कई परंपराए हैं, जंजगिरी में दिवाली की रात में गौरा गौरी का निर्माण किया जाता है और दूसरे दिन पूजा पाठ और नगर भ्रमण कर विसर्जन किया जाता है। हमारी परंपरा और संस्कृति में पूरा जीवन है, सोटा प्रहार झेलने की परंपरा आदिवासियों की है, जिसे सभी समाज के लोग मिलकर करते हैं। पूर्व सीएम ने बताया कि हर साल यहां सोटा प्रहार की परंपरा निभाने इस गांव में वो पहुंचते हैं।
बता दें कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर गांव के बुजुर्ग भरोसा ठाकुर यह प्रहार करते थे लेकिन उनके निधन के बाद इस परंपरा को उनके बेटे बीरेंद्र ठाकुर निभा रहे हैं। भूपेश बघेल ने इस मौके पर भरोसा ठाकुर को याद किया। साथ ही इस बात की खुशी जाहिर करी कि उनके बेटे जंजगिरी की इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।