सीजी भास्कर, 07 नवंबर। भिलाई दुर्ग क्षेत्र में इन दिनों टू व्हीलर गाड़ियां धड़ल्ले से चोरी हो रही हैं। गाड़ी चोरी होने के लगभग 5 से 7 दिन बाद अमूनन शहर के सभी थाने एफआईआर करने को राजी होते हैं। चोरी के कुछ दिनों तक शहर भर में अपनी गाड़ी तलाशते पीड़ित खुद दिखाई देता है। पतासाजी बाद थक हार लगभग 5 दिन बीत जाने के बाद उसकी चोरी हुई गाड़ी की एफआईआर पुलिस दर्ज करती है।
जब्त वाहन थाना में ही सड़ गल रहे, जो नहीं मिले वो तफ्तीश के नाम पर फाइलों में “कबाड़”
आपको बता दें कि जहां दुर्ग जिले के सभी थानों में जब्त हजारों दुपहिया वाहन जहां खड़े खड़े सड़ गल कबाड़ हो एक बड़ी जगह घेरे हुए पड़े हैं वहीं सैकड़ों चोरी हुए वाहन अब तक तफ्तीश के नाम पर फाईलों में ही दबे पड़े हैं। तीन से चार महीनों में जब पुलिस एकाध वाहन चोर पकड़ती है तो उससे जब्त दो से चार वाहनों की पतासाजी कर बाकायदा वाहन मालिकों को तलाशना पड़ता है क्योंकि सभी जब्त वाहनों की एफआईआर लिखी गई हो, यह भी जरूरी नहीं। अमूमन यह भी देखा गया है कि वाहन चोरी के मामले बेमन से रोजनामचा में भी दर्ज कर पुलिस जल्द पतासाजी कर खबर करेंगे की घुट्टी पिला वाहन मालिक को घर भेज देती है। टू व्हीलर और मोबाईल चोरी के कुछ मामलों में तो यहां तक देखा गया है कि इनके जब्त होने के बाद पुलिस दावेदारों को बाकायदा खोजती है और फिर उनकी आनन फानन एफआईआर दर्ज करने के एक दो दिन बाद चोरी का खुलासा करती रही है। खैर, थाना में बल की कमी कही जाए या फिर इच्छाशक्ति का अभाव कुल मिलाकर ढर्रा वही पुराना ही है।
500 रूपये में इंजन सहित खुल रही गाड़ियां, फिर जोड़ तोड़ कर सेकंड हैंड बिकी बाजार में
जब टू व्हीलर गाड़ियां चोरी के एक से दो दिन के भीतर गुपचुप ढंग से महज 500 रूपये में डिसेबल कर अलग अलग पार्ट्स के साथ कबाड़ी के गोदाम पहुंच जा रही हैं तो फिर चोरी के वाहन पुलिस बरामद करे भी तो कैसे? यकीनन एफआईआर लिखने में हीला हवाला करने की एक वजह यह भी हो सकती है। कुछ समय पहले ही गौतम नामक एक युवक की स्कूटर क्रमांक सीजी 07 बीएम 0387 चोरी हुई। पीड़ित तीन से चार दिन विभिन्न सायकल स्टैंड से लेकर शहर के हर बाजार में अपनी एक्टिवा तलाशता रहा। वह थाने भी गया मगर वहां रोजनामचा रजिस्टर में वाहन की डिटेल दर्ज कर उसे भेज दिया गया। कुछ दिनों बाद गौतम को अपनी एक्टिवा स्कूटर की सीट एक कबाड़ में मिली। सूचना मिलते ही छावनी पुलिस भी तफ्तीश में यहां पहुंची तो मालूम हुआ कि सुंदरलाल नामक मिस्त्री ने 500 रूपये लेकर पूरी स्कूटर को इंजन समेत पुर्ज़ा पुर्जा कर दिया। मिस्त्री तक यह गाड़ी कोई राजकुमार नामक व्यक्ति लेकर आया था। एक्टिवा खोल कर उसके पार्ट्स कबाड़ी को बेच दिए गए। खबर यह भी है कि बसंत टाकीज़ क्षेत्र से लगा एक पूरा बाजार है जहां अलग अलग पार्ट्स असेंबल कर सेकंड हैंड गाड़ियां हाथों हाथ बेच दी जा रही हैं। लंबे समय से भिलाई दुर्ग क्षेत्र में डिसेबल और असेंबल का एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है। चोरी और छीने गए मोबाईल की तर्ज पर ही टू व्हीलर गाड़ियां भी कुछ इसी तरह मार्केट में खपाई जा रही हैं। चोरी के मोबाइल हों या गाड़ियां, इनके अलग अलग पार्ट्स भी कबाड़ी के गोदाम पहुंच वहां से जरूरत के मुताबिक बेच दिए जा रहे हैं। टू व्हीलर मैकेनिक भी कुछ कम कीमत का हवाला दे ओरिजनल पार्ट्स के नाम पर ऐसे चोरी के डिसेबल माल आसानी से खपा रहे हैं।