स्मगलिंग के लिए रिश्तेदारों के 45 बैंक खातों में होता रहा बड़ा ट्रांजेक्शन, एसपी राजेश सिंह कर रहे हैं जांच
सीजी भास्कर, 19 नवंबर। एक आईपीएस के संरक्षण में पुलिस वाले छत्तीसगढ़ में गांजे की तस्करी करवा रहे हैं। एक तरह से आपको यह आरोप भले लगे मगर सच यही है। जांच में करोड़ों का ट्रांजेक्टशन पुलिस के हाथ लगने के बाद अब DGP ने पूरे मामले की सूक्ष्मता से जांच कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार की रेल पुलिस का गांजा तस्करी में शर्मनाक चेहरा सामने आया है। जीआरपी के जवान संगठित रूप से गांजे की तस्करी करवा रहे थे। खुफिया जांच में इसका खुलासा होने के बाद पुलिस ने 4 कांस्टेबलों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। इस मामले में एक आईपीएस की संलिप्तता भी सामने आई है। तस्करी के लिए नाते-रिश्तेदारों के नाम पर 45 बैंक अकाउंट खोला गया था। इसमें करीब 15 करोड़ से अधिक के लेनदेन का खुलासा हुआ है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अफसरों को आदेश दिया है कि इस मामले में कठोर कार्रवाई की जाए। डीजीपी ने निःपक्ष जांच के लिए बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह को केस सौंप दिया है।
जांच में पता चला है कि जीआरपी के जवान पहले ट्रेनों में गांजा जब्त करते थे, उसी को बेचकर पैसा कमाते थे। मगर 2018 के बाद उन्हें लगा कि धंधा अच्छा है तो अपना खुद का नेटवर्क बना लिया और उड़ीसा से गांजा खरीदकर सप्लाई करने लगे। उड़ीसा, कोलकाता, झारखंड और महाराष्ट्र तक जीआरपी का रैकेट गांजा सप्लाई कर रहा था। चूकि जीआरपी का काम ही अपने स्टेट के अंतर्गत स्टेशनों तक ट्रेनों के अपराधों की रोकथाम करना है इसलिए वर्दी की आड़ में वे इस धंधे का चौतरफा फैलाते रहे। उन्हें पकड़े जाने का डर भी नहीं था, गांजा पैडलर्स को भी जीआरपी जवानों से गांजा खरीदने में सुविधा होती थी। आगे कहीं पकड़े भी गए तो जीआरपी वाले जोड़-तोड़ कर छुड़वा देते थे।
एसपी रजनेश सिंह ने बताया कि कोलकाता से एक बड़े ड्रग पैडलर को पुलिस ने पकड़ा है जिसके साथ मिलकर जीआरपी गांजा और ड्रग की तस्करी कर रही थी। जीआरपी ने अपनी काली करतूतों से छत्तीसगढ़ पुलिस को बदनाम कर दिया है। जीआरपी पिछले पांच साल से गांजे की आर्गेनाईज ढंग से तस्करी कर रही थी। इसमें बड़े अधिकारियों की भूमिका बताई जा रही है। जांच में पता चला है कि पिछले 5-6 साल में जीआरपी में रहे लगभग सभी सीनियर अफसरों ने बहती गंगा में जमकर डूबकी लगाई है। उन्होंने बताया कि जीआरपी के गांजा तस्करी में कई गंभीर किस्म के साक्ष्य मिले हैं। पुलिस इसकी गंभीरता से जांच कर रही है। कोलकाता से एक ड्रग पैडलर को गिरफ्तार किया गया है। यह ड्रग पैडलर जीआरपी जवानों के सरकारी निवास में रूकता था, विस्तृत रिपोर्ट वे पीएचक्यू को सौंपेंगे।
गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ की खुफिया पुलिस को जीआरपी जवानों के रैकेट द्वारा गांजे की तस्करी करने की जानकारी मिली थी। इंटेलिजेंस चीफ अमित कुमार ने इसके लिए विभाग के 7 अधिकारियोें की एक टीम बनाकर जांच में लगाया। खुफिया टीम ने रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए तीन महीने में करीब हावड़ा-मुंबई लाईन पर नागपुर से लेकर झारसुगड़ा तक और वाल्टेयलर लाईन पर टिटलागढ़ तक सघन निगरानी रखी। गुप्तचरों ने इस दौरान करीब ढाई सौ ट्रेनों में खुद भी सफर किया। पुख्ता जानकारी बटोरने के बाद फिर खुफिया चीफ अमित कुमार को इसकी रिपोर्ट दी गई। इसके बाद जीआरपी के चार सिपाहियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। खुफिया पुलिस ने जांच में जीआरपी जवानों के पास से 45 बेनामी खाते मिले। पुलिस जवानों ने अपने नाते-रिश्तेदारों के नाम पर खाते खुलवा खुद ऑपरेट करते रहे। इन खातों में 15 करोड़ के लेनदेन का पता चला, जो कि गांजा पैडलरों ने ट्रांसफर किए थे।
बताया जा रहा है कि जीआरपी के इस रैकेट को ऊपर के अधिकारियों का खुला संरक्षण मिला था। जांच में पता चला है कि गांजा तस्करी का रूपया ऊपर तक जाता था। इसमें एक आईपीएस की संलिप्तता भी बताई जा रही है। 2018 के बाद सारे सीनियर अधिकारियों को पैसा दिए जाने की जानकारी जांच खुफिया जांच में आई है।