सीजी भास्कर, 29 दिसंबर। भाजपा में जल्द ही संगठन स्तर पर बड़ा फेरबदल होने वाला है। ऐसी संभावना है कि नए साल में फरवरी के पहले पखवाड़े तक पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मिल जाएगा है। संगठन चुनाव को लेकर आज दिल्ली में पार्टी की बैठक हुई, जिसमें इन चुनावों को लेकर चर्चा हुई है। बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष के आलावा सभी राष्ट्रीय महासचिव और संगठन चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी मौजूद रहे। राज्यों से प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री और चुनाव अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए हैं। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के अधिकांश मंडलों में अध्यक्ष की घोषणा बाद जिला अध्यक्षों की संभावित पैनल सूची हाईकमान को भेज दी गई है। जिस पर मंथन बाद जिलाध्यक्षों के नाम वाले बंद लिफाफे खोल घोषणा की जा सकती है।
संगठन वरिष्ठों के मुताबिक जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा 30 दिसंबर से 3 जनवरी तक हो जाएगी, वैसे कोई पेंच फंसने पर यह घोषणा आगे भी बढ़ सकती है क्योंकि जिलाध्यक्ष के लिए 15 जनवरी तक का समय निर्धारित है। छत्तीसगढ़ में प्रदेश संगठन ने सांसद, विधायक सहित जनप्रतिनिधियों से रायशुमारी के बाद पैनल बना कर नाम दिल्ली भेज दिए गए हैं, जिस पर क्रमानुसार मंथन कर केंद्रीय कमेटी जिलाध्यक्ष का नाम फायनल करेगी।
दूसरी तरफ भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जून 2019 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष और जनवरी 2020 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है। इस लिहाज से नड्डा का कार्यकाल 2023 में खत्म हो चुका है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। भाजपा के संविधान के मुताबिक कोई व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल तक लगातार अध्यक्ष रह सकता है। लेकिन नड्डा के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाने के बाद उनके दोबारा अध्यक्ष बनने की संभावना खत्म हो चुकी है। इसकी वजह भाजपा का एक व्यक्ति-एक पद का नियम है।
गौरतलब हो कि संगठन में मंडल अध्यक्ष पद के लिए भाजपा ने युवाओं को संगठन में अहमियत और महत्व देने के लिए पहले ही आयु सीमा तय कर चुकी है, इसके लिए जिलों के भीतर बनाए जाने वाले मंडल अध्यक्ष की उम्र 35 से 45 साल के बीच निर्धारित की गई वहीं जिलाध्यक्ष की उम्र 45 से 60 साल के बीच होगी। जिलाध्यक्ष के लिए संगठन में 7 से 8 साल तक काम करने का अनुभव भी जरूरी किया गया है। इनका चुनाव 15 जनवरी तक पूरा कराए जाने का लक्ष्य है।
संगठन चुनाव को लेकर हुई बैठक में लगातार दो बार मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष रह चुके व्यक्ति को तीसरी बार मौका नहीं दिए जाने का निर्णय लिया जा चुका है। साथ ही तय हुआ है कि संगठन के किसी पद पर काम कर रहे व्यक्ति को ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पार्टी के संविधान में स्पष्ट निर्देश हैं। पार्टी के संविधान की धारा-19 के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था की गई है। धारा-19 के अनुसार पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा जिसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सदस्य होंगे। पार्टी के संविधान में कहा गया है कि यह चुनाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक किया जाएगा। अध्यक्ष चुने जाने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य रहा हो। धारा-19 के पेज में ही यह लिखा गया है कि निर्वाचक मंडल में से कुल 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखेंगे। यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम 5 ऐसे प्रदेशों से भी आना जरूरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों। इसके अलावा इस तरह के चुनाव के लिए नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति भी जरूरी है। भाजपा के संविधान के मुताबिक कम से कम 50 फीसदी यानि आधे राज्यों में संगठन चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। इस लिहाज से देश के 29 राज्यों में से 15 राज्यों में संगठन के चुनाव के बाद ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। हालांकि पार्टी के संविधान के मुताबिक इससे पहले 50 प्रतिशत राज्यों में संगठन के चुनाव पूरे कराने हैं। इसके आलावा 15 जनवरी तक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे, ऐसी खबर विश्वस्त सूत्रों से मिली है। जहां तक छत्तीसगढ़ की बात करें तो फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव के अध्यक्षीय कार्यकाल को रिपीट किया जा सकता है।