सीजी भास्कर , 6 मार्च |
जमीन में दबे मुगलकालीन सोने-चांदी के सिक्कों का भंडार तलाशने के लिए इन दिनों असीरगढ़ किले के आसपास सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण खोदाई कर रहे हैं। इनकी संख्या पांच सौ से ज्यादा बताई जा रही है। सांझ ढलते ही ग्रामीण टार्च, फावड़ा, कुदाली, मिट्टी छानने का छन्ना और भोजन-पानी लेकर पहुंच जाते हैं। इसके बाद रात दो से तीन बजे तक सोने की तलाश का काम जारी रहता है। इनमें पुरुषों के साथ महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल होते हैं।
मुगलकालीन सिक्के मिलने का दावा
टार्चों की रोशनी के कारण असीरगढ़ किले के आसपास के खेतों में रात के समय दूर से कोई बस्ती होने का आभास होता है। ग्रामीणों की मानें तो कई लोगों को मुगलकालीन सोने के सिक्के मिले हैं, लेकिन कोई खुल कर नहीं बोल रहा है। बताया जाता है कि कुछ लोग स्वर्ण भंडार तलाशने के लिए मेटल डिटेक्टर का उपयोग तक कर रहे हैं। दिन के उजाले में खेतों में दूर-दूर तक हजारों की संख्या में केवल गड्ढे ही नजर आते हैं। हालांकि इस संबंध में अब तक पुलिस और प्रशासन की कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है।
तीन माह पूर्व हुई थी खुदाई की शुरुआत
- असीरगढ़ किले के पास सिक्कों के लिए खोदाई का सिलसिला करीब तीन माह पूर्व तब शुरू हुआ था।
- तब इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाइवे पर चल रही खुदाई में सोने के सिक्के मिलने की अफवाह फैली थी।
- सूत्रों के अनुसार इस दौरान दो किसानों को चार किलो सोना मिला था, लेकिन पुलिस की जांच में कुछ भी सामने नहीं आया था।
- इसके बाद से किले के आसपास के खेतों में खोदाई का काम शुरू हो गया था।
- बीते दस दिन से यह सिलसिला तेज हो गया है। अब वहां करीब पांच सौ लोग खोदाई के लिए पहुंच रहे हैं।
मुगलकाल में किले के पास था टकसाल
- पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद (डीएटीसी) के सदस्य शालिकराम चौधरी और कमरुद्दीन फलक के अनुसार मुगलकाल में असीरगढ़ किले के पास सोने व चांदी के सिक्के ढालने वाला टकसाल हुआ करता था।
- इसके चलते इसके आसपास बड़ी मात्रा में सिक्के रखे जाते थे। बताया जाता है कि युद्ध के दौरान इसके नष्ट हो जाने के कारण कई जगह स्वर्ण भंडार दबा रह गया।
- यही अब लोगों को खोदाई में मिल रहा है। शालिकराम चौधरी बताते हैं करीब ढाई सौ साल तक वहां टकसाल था।
- इसमें मुगलकाल से सिंधिया काल तक सिक्के ढलते थे। दुर्लभ वस्तुओं के संग्रहकर्ता डा. मेजर गुप्ता व अन्य लोगों के पास भी ऐसे सिक्के मौजूद हैं।
- उन्होंने मांग की है कि प्रशासन को मेटल डिटेक्टर के माध्यम से इस स्वर्ण भंडार को खोज कर राजकोष में जमा कराना चाहिए।