सीजी भास्कर, 06 मार्च । छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS RICE) के चावल की जमकर कालाबाजारी हो रही है। खाद्य विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक को इसकी जानकारी होने के बावजूद यह अवैध धंधा धड़ल्ले से जारी है।
बुधवार की शाम ग्राम घूमरगुड़ा में जनपद सदस्य देवेंद्र सिंह राजपूत की सक्रियता के चलते एक मिनी ट्रक को पकड़ा गया, जिसमें 47 कट्टा चावल (PDS RICE) भरा हुआ था। यह चावल दर्शन सोनी के घर से लोड होकर देवभोग के किसी व्यापारी के पास जा रहा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए देवेंद्र सिंह राजपूत ने तत्काल अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) डा. तुलसीदास मरकाम को इसकी सूचना दी। सूचना मिलते ही एसडीएम मौके पर पहुंचे और पीडीएस चावल से भरी गाड़ी को जब्त कर थाना पुलिस को सुपुर्द कर दिया।
हालांकि, इस मामले में दर्शन सोनी का कहना है कि जब्त किया गया चावल पीडीएस का नहीं है। अब सवाल उठता है कि यदि यह चावल पीडीएस का नहीं है तो इतनी बड़ी मात्रा में यह चावल कहां से आया? प्रशासन इस दिशा में जांच कर रहा है।
इस संबंध में देवभोग अनुविभागीय अधिकारी ने चावल की गुणवत्ता की जांच के लिए क्वालिटी इंस्पेक्टर को पत्र भेजा है। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि जब्त किया गया चावल पीडीएस का है या नहीं। वहीं खाद्य निरीक्षक केतन राणा ने कहा कि यदि पीडीएस चावल की कालाबाजारी पाई जाती है तो मंडी अधिनियम एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
सरकार को हो रहा आर्थिक नुकसान (PDS RICE)
सूत्रों के अनुसार, देवभोग क्षेत्र में व्यापारियों के माध्यम से पीडीएस चावल सीधे राइस मिलों तक पहुंचाया जा रहा है। इसके बाद वही चावल पुनः नान (छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम) के गोदामों में भेजकर, पीडीएस दुकानों के माध्यम से हितग्राहियों को वितरित किया जा रहा है। इस प्रकार चावल का एक अवैध चक्र बन चुका है, जिससे सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
राइस मिलों का भौतिक सत्यापन आवश्यक (PDS RICE)
अगर प्रशासन सख्ती दिखाए और राइस मिलों का भौतिक सत्यापन कराए तो इन मिलों में धान की वास्तविक मात्रा का पता लगाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि उपार्जन केंद्रों में कटे हुए धान को पहले राइस मिलों में भेजा जाता है फिर इसे व्यापारियों के पास पहुंचाया जाता है। बाद में वहीं धान किसानों के नाम पर उनके पट्टों में दर्ज किया जाता है।
प्रशासन को इस पूरे गोरखधंधे की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई न होना यह संकेत देता है कि कहीं न कहीं अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। क्या प्रशासन इस चावल घोटाले पर कार्रवाई करेगा या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा? यह एक बड़ा सवाल है।