सीजी भास्कर, 02 अप्रैल। Rampur School News: रामनगर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामपुर में स्थायी अध्यापक की नियुक्ति को लेकर छात्रों और अभिभावकों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है.
लगातार दूसरे दिन भी विद्यालय में तालाबंदी कर धरना प्रदर्शन जारी रहा. प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों का कहना है कि अस्थायी रूप से पाटकोट विद्यालय से प्रतिदिन अलग-अलग शिक्षक भेजे जा रहे हैं, जिससे न तो रामपुर स्कूल में पढ़ाई सुचारु हो पा रही है और न ही पाटकोट के छात्रों को उचित शिक्षा मिल पा रही है. इस अस्थायी व्यवस्था के कारण बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है और उनका शैक्षणिक भविष्य खतरे में पड़ता दिख रहा है.
विद्यालय में स्थायी शिक्षक नियुक्त करने की मांग को लेकर पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी ने शिक्षा विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि बार-बार अवगत कराने के बावजूद विभाग इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो अभिभावक और ग्रामवासी बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे. विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष महेश चंद्र ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर विद्यालय में स्थायी शिक्षक नियुक्त नहीं किया जाता, तो खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, रामनगर में आमरण अनशन शुरू किया जाएगा.
माता-पिता और स्थानीय लोगों में नाराजगी
विद्यालय में अध्यापक न होने के कारण छात्र शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. बच्चों के माता-पिता और स्थानीय लोग इसे लेकर गहरी नाराजगी जता रहे हैं. उनका कहना है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या को नजर अंदाज कर रहा है, जिससे बच्चों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है. विद्यालय में अध्यापक न होने के कारण शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है और बच्चे दो दिनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं.
अभिभावकों ने यह भी कहा कि यदि शीघ्र ही स्थायी अध्यापक की नियुक्ति नहीं की जाती, तो प्रशासनिक कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर आंदोलन तेज किया जाएगा. स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा विभाग को इस समस्या की जानकारी लंबे समय से दी जा रही है, लेकिन अब तक किसी भी अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है. लोग सवाल कर रहे हैं कि यदि विद्यालयों में शिक्षकों की पर्याप्त नियुक्ति नहीं होगी, तो कैसे बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जाएगा?
अभिभावकों और छात्रों का बढ़ता जा रहा विरोध
इस मुद्दे पर प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अभिभावकों और छात्रों का विरोध बढ़ता जा रहा है. अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए क्या कदम उठाता है.