सीजी भास्कर, 4 अप्रैल |
छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी से निकाले गए B.Ed सहायक शिक्षकों ने गुरुवार को 2,621 फीट लंबी चुनरी यात्रा निकाली। यह यात्रा ISBT बस स्टैंड भाठागांव से शीतला माता मंदिर तक निकाली गई। समायोजन और सेवा सुरक्षा की मांग को लेकर शिक्षकों के आंदोलन का यह 111वां दिन था।
शिक्षकों ने कहा कि यह आयोजन न केवल श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि संघर्ष की सकारात्मक दिशा में बढ़ते कदम है। वहीं आज मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की दूसरी बैठक होनी है।
लड़ाई सिर्फ नौकरी की नहीं, आत्मसम्मान की
इन शिक्षकों का आंदोलन करते 111 दिन हो गए हैं। गुरुवार को अपनी मांगों को लेकर महिला शिक्षकों ने कहा कि, हमारी लड़ाई सिर्फ नौकरी की नहीं, आत्मसम्मान की है। नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है, और हर नारी में मां दुर्गा का अंश होता है।
जैसे मां ने अधर्म के खिलाफ शस्त्र उठाए, वैसे ही हम भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अडिग हैं। हमें विश्वास है कि हमारा संघर्ष सफल होगा।
शिक्षिका गायत्री देवी मिंज ने कहा कि मैंने अपने विद्यार्थियों को घर और स्कूल, दोनों जगह संभाला। अब जब न्याय की घड़ी आई है, तो हम अपने हक के लिए खड़े हैं। हमें विश्वास है कि सरकार हमारी मांगों को समझेगी।
मांगों को अनदेखा क्यों किया जा रहा?
निकिता देशमुख ने कहा कि, नवरात्रि के दौरान हमने चुनरी यात्रा निकालकर मां दुर्गा की आराधना की है। हम अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की है। आज जहां नवरात्रि में देवियों की पूजा अर्चना हो रही है।
लेकिन एक शिक्षिका, जो स्वयं नारी शक्ति का प्रतीक है, न्याय की आस में संघर्ष कर रही है, लेकिन उनकी मांगों को अनदेखा क्यों किया जा रहा है? हमें मां का आशीर्वाद प्राप्त है, और हमें विश्वास है कि सरकार भी हमें न्याय देगी।
आज समिति की बैठक
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने कहा कि 3 जनवरी 2025 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की दूसरी बैठक 4 अप्रैल यानी आज प्रस्तावित है, जिसमें समायोजन के लिए ठोस निर्णय लिए जाने की संभावना है।
बर्खास्त शिक्षकों ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार पर पूर्ण विश्वास है और आशा है कि समिति का निर्णय उनके पक्ष में होगा। इस आयोजन को जनता का भी व्यापक समर्थन मिला, जिससे शिक्षकों के संघर्ष को नई ऊर्जा मिली। यह आंदोलन केवल अधिकारों की लड़ाई नहीं, बल्कि शिक्षा और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है।
निकाय चुनाव से पहले शुरू हुआ था आंदोलन-
14 दिसंबर – अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में बदल गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए पत्र भी भेजे।
22 दिसंबर – धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद शिक्षकों ने धरना स्थल पर ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाया।
26 दिसंबर- आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। कहा कि ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है।
28 दिसंबर- आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। कहा कि, अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे।
29 दिसंबर- आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2 घंटे तक बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे।
30 दिसंबर –पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अटल हैं। सरकार तक ये संदेश देना चाहते हैं कि सुशासन में हमारी नौकरी भी बचा ली जाए और समायोजन किया जाए।
1 जनवरी – सभी प्रदर्शनकारियों ने मिलकर माना स्थित बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव कर दिया। यहां प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
2 जनवरी – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
3 जनवरी – सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी बनाई। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं।
3 जनवरी – मांगे पूरी नहीं होने से नाराज सहायक शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया।
6 जनवरी – राज्य निर्वाचन आयोग जाकर मतदान बहिष्कार के लिए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
7 जनवरी – शालेय शिक्षक संघ ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया
8 जनवरी – बीरगांव में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने आमसभा की और रैली निकाली
10 जनवरी – NCTE यानि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन की शवयात्रा निकालकर प्रदर्शन किया।
12 जनवरी – माना से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा निकाली गई।
17 जनवरी – पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने धरना स्थल पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
18 जनवरी – मंत्री ओपी चौधरी के बंगले का सुबह 5 बजे घेराव कर दिया।
19 जनवरी – तेलीबांधा की सड़क में चक्काजाम कर किया प्रदर्शन।
20 जनवरी – नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता लगने की वजह आंदोलन स्थगित करना पड़ा।