सीजी भास्कर, 30 मई। Bilaspur News: बिलासपुर में मानसून के साथ एकबार फिर शहर को जलभराव की समस्या से परेशान होना पड़ेगा। दावों के उलट मानसून को लेकर निगम की तैयारियां नाकाफी दिख रही हैं। पानी निकासी के लिए नाले नालियों की सफाई से लेकर जलभराव से निपटने के लिए निगम अब तक कोई स्थाई प्लान नहीं बना सका है।
शहर में 15 से ज्यादा ऐसे चिन्हांकित क्षेत्र हैं जहां जलभराव की सबसे ज्यादा समस्या सामने आती है। निगम के इस हाल को लेकर अब पक्ष-विपक्ष भी आमने-सामने आ गए हैं।
दरअसल, मानसून मुहाने पर है। बदले मौसम के साथ बारिश भी हो रही है। हल्के बारिश में ही जलभराव की तस्वीर भी सामने आ चुकी है। ऐसे में सूबे के दूसरे बड़े शहर और नगर निगम बिलासपुर में फिर एकबार मानसून के दस्तक के साथ जलभराव का खतरा मंडराने लगा है। जलभराव से निपटने के लिए निगम की तैयारी अब भी अधूरी है।
न तो नाले नालियों की सफाई पूरी हुई है और ना ही पानी निकासी के किसी ठोस और स्थाई प्लान पर काम किया जा सका है। अब भी शहर की अधिकांश नालियां जाम हैं गंदगी और कचरे से पटी पड़ी हैं। आउटर के नालों का भी यही हाल है। नालों की सफाई भी पूरी नहीं हो सकी है। शहर में 15 से ज्यादा ऐसे क्षेत्र चिन्हांकित हैं, जहां सबसे ज्यादा वाटर लॉगिंग की समस्या सामने आती है।
इसमें पुराना बस स्टैंड, श्रीकांत वर्मा मार्ग, मंगला, तालापारा, कश्यप कॉलोनी, विद्या विनोबा नगर, अज्ञेय नगर, सरकंडा, लिंक रोड जैसे क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि, निगम का अपना दावा है।
दरअसल, मानसून मुहाने पर है। बदले मौसम के साथ बारिश भी हो रही है। हल्के बारिश में ही जलभराव की तस्वीर भी सामने आ चुकी है। ऐसे में सूबे के दूसरे बड़े शहर और नगर निगम बिलासपुर में फिर एकबार मानसून के दस्तक के साथ जलभराव का खतरा मंडराने लगा है। जलभराव से निपटने के लिए निगम की तैयारी अब भी अधूरी है। न तो नाले नालियों की सफाई पूरी हुई है और ना ही पानी निकासी के किसी ठोस और स्थाई प्लान पर काम किया जा सका है।
अब भी शहर की अधिकांश नालियां जाम हैं गंदगी और कचरे से पटी पड़ी हैं। आउटर के नालों का भी यही हाल है। नालों की सफाई भी पूरी नहीं हो सकी है। शहर में 15 से ज्यादा ऐसे क्षेत्र चिन्हांकित हैं, जहां सबसे ज्यादा वाटर लॉगिंग की समस्या सामने आती है।
इसमें पुराना बस स्टैंड, श्रीकांत वर्मा मार्ग, मंगला, तालापारा, कश्यप कॉलोनी, विद्या विनोबा नगर, अज्ञेय नगर, सरकंडा, लिंक रोड जैसे क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि, निगम का अपना दावा है।