सीजी भास्कर, 25 जून। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में संचालित पीएम श्री नटवर आत्मानंद स्कूल एक बार फिर विवादों में है।
स्कूल प्रबंधन पर आरोप है कि उन्होंने 9वीं कक्षा में फेल छात्रा को नए सत्र में पढ़ाई से वंचित कर दिया और TC (Transfer Certificate) लेने का निर्देश दे दिया। इस मामले ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
फेल होते ही कक्षा में बैठने से रोका गया
छात्रा के परिजनों के अनुसार, बेटी 2024-25 सत्र में नटवर आत्मानंद स्कूल में 9वीं की छात्रा थी। परीक्षाओं में असफल रहने के बाद जब वह नए सत्र में कक्षा में गई, तो कक्षा शिक्षक ने उसे बैठने से रोक दिया और कहा कि फेल छात्रों को स्कूल छोड़ना होगा।
आरोप है कि शिक्षक ने सीधे तौर पर TC लेने की बात कही, जिससे छात्रा मानसिक रूप से परेशान हो गई।
प्राचार्य से भी नहीं मिला समाधान
छात्रा के माता-पिता जब स्कूल प्राचार्य से मिले, तो वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। परिजनों ने बताया कि उन्होंने लिखित में जवाब मांगा कि क्या सरकारी स्कूलों में एक बार फेल होने के बाद TC देना अनिवार्य है, लेकिन प्राचार्य ने लिखित में कुछ भी देने से मना कर दिया।
TC दिए बिना सीट किसी और को दी गई
परिजनों का यह भी आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने TC तो नहीं दी, लेकिन छात्रा की खाली सीट पर किसी और विद्यार्थी को प्रवेश दे दिया। स्कूल में प्रवेश ऑनलाइन लॉटरी सिस्टम से होता है, ऐसे में फेल छात्रों के नाम हटाकर बिना औपचारिक प्रक्रिया के अन्य छात्रों को जगह दे दी गई।
3-4 और छात्र भी इसी परेशानी में फंसे
यह मामला सिर्फ एक छात्रा का नहीं है। परिजनों ने बताया कि 3 से 4 और छात्र हैं जो इसी तरह की स्थिति से गुजर रहे हैं।
उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि यदि ऐसा कोई नियम है तो स्पष्ट किया जाए और बच्चों को अन्य स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था की जाए ताकि उनका भविष्य न बर्बाद हो।
DEO ने क्या कहा?
जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) केवी राव ने मामले में स्पष्ट रूप से कहा कि —
“एक बार फेल हो जाने के बाद TC देने का कोई नियम नहीं है। परिजन मुझसे मिल चुके हैं और प्राचार्य को भी रिकॉर्ड सहित बुलाया गया है। प्रकरण की निष्पक्ष जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
क्या कहता है नियम?
छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार, कोई भी सरकारी स्कूल किसी छात्र को केवल फेल होने के आधार पर निष्कासित नहीं कर सकता। TC देने के लिए अभिभावक की सहमति और छात्र का स्वयं निर्णय आवश्यक होता है।