सीजी भास्कर, 3 जुलाई |
देश में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की जांच और मान्यता देने की प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने नवा रायपुर के रावतपुरा सरकारी मेडिकल कॉलेज समेत यूपी, गुजरात, आंध्रप्रदेश, राजस्थान समेत 7 राज्यों के 35 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की है।
इनमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के अधिकारी, डॉक्टर, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के अधिकारी और डील करवाने वाले दलाल शामिल हैं। वहीं घूसखोरी में शामिल एक डॉक्टर को नेशनल मेडिकल काउंसिल NMC ने ब्लैकलिस्ट किया है।
अब तक इस केस में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार लोगों में 3 डॉक्टर भी शामिल हैं। CBI इनसे 7 जुलाई तक पूछताछ करेगी। यह मामला मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण प्रक्रिया में गड़बड़ी, फर्जी फैकल्टी की नियुक्ति, और बायोमेट्रिक रिकॉर्ड में हेरफेर से जुड़ा है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
CBI को पुख्ता जानकारी मिली थी कि स्वास्थ्य मंत्रालय और NMC के कुछ अधिकारी, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर गड़बड़ी कर रहे हैं। इन लोगों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मेडिकल कॉलेजों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने में मदद की साथ ही अपने फेवर में अच्छी रिपोर्ट बनाने के एवज में निजी मेडिकल कॉलेजों से घूस ली।
इस मामले में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली और NMC के कुछ अधिकारी, निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार में शामिल है। आरोप है कि मंत्रालय के अधिकारियों ने कॉन्फिडेंशियल डॉक्यूमेंट और संवेदनशील जानकारी को लीक किया और प्राइवेट कॉलेजों के निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर की।
FIR में इन बातों का जिक्र
- CBI की FIR में बताया गया है कि डॉ. जीतू लाल मीणा, जो कि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी में जॉइंट डायरेक्टर हैं, उन्हें डॉ. वीरेंद्र कुमार ने भारी रिश्वत पहुंचाई। इस पैसे से राजस्थान के सवाई माधोपुर में एक हनुमान मंदिर बनवाया, जिसकी कीमत 75 लाख बताई जा रही है। यह पैसा हवाला के जरिए ठेकेदार भीकालाल को दिया गया।
- विशाखापट्नम के गायत्री मेडिकल कॉलेज को NMC से मंजूरी दिलाने के बदले 2.5 करोड़ की रिश्वत ली गई, जिसे दिल्ली हवाला चैनल से भेजा गया।
- स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी चंदन कुमार ने मंत्रालय की गोपनीय जानकारी गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल को दी।
- मयूर रावल ने टेक-इन्फी सॉल्यूशन्स के आर. रणदीप नायर के साथ मिलकर कई कॉलेजों को जांच की जानकारी पहले ही दे दी, ताकि वे भी फर्जी तैयारी कर सकें।
- इस मामले में स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (गुजरात), नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (मेरठ), और अन्य कॉलेजों ने फर्जीवाड़ा कर रिपोर्ट अपने फेवर में बनवाई है।
CBI ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया
देशभर के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के नाम पर बड़े भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले में CBI ने 30 जून को छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कार्रवाई की थी। 3 डॉक्टर समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
आरोप है कि 30 जून को NMC की इंस्पेक्शन टीम के 4 सदस्य की टीम छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च पहुंचे थे। SRIMSR के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी ने इंस्टीट्यूशन के फेवर में रिपोर्ट बनाने के लिए जांच टीम को पैसों का ऑफर किया।
यह ऑफर सीधे डॉक्टर मंजप्पा को दिया गया था, जो कि मांड्या इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस बेंगलुरु में ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के HOD है। साथ ही NMC जांच दल क प्रमुख है। डॉ मंजप्पा ने सतीश ए. को हवाला ऑपरेटर से 55 लाख रुपए इकट्ठा करने के निर्देश दिए।
डॉक्टर चैत्रा और अपनी टीम के दूसरे सदस्य को भी इस बात के लिए मनाया और उन्हें बताया कि उनका कमीशन डॉक्टर सतीश उनके घर पर डिलीवर कर देंगे। यह पूरी डील 30 जून को ही हो गई थी।
डॉ. मंजप्पा ने कहा- हवाला ऑपरेटर से कॉल आएगा
उन्होंने सतीश ए. को यह भी बताया कि उन्हें हवाला ऑपरेटर से एक कॉल आएगा कि राशि कैसे एकत्र की जानी है। डॉ. मंजप्पा ने निरीक्षण दल की एक अन्य सदस्य डॉ. चैत्रा से भी बात की। उन्हें बताया कि उनका हिस्सा सतीश ए. उनके निवास पर पहुंचवाएंगे।
CBI ने लंबे समय से NMC और उससे जुड़े लोगों को ट्रैप कर रही थी। केस फाइल करने के बाद सभी आरोपियों को पकड़ने के लिए बेंगलुरु में जाल बिछाया। यहां से 55 लाख रुपए की रिश्वत की रकम बरामद की। रिश्वत की कुल रकम में से 16.62 लाख रुपए डॉ. चैत्रा के पति रविन्द्रन से और 38.38 लाख रुपए डॉ. मंजप्पा के सहयोगी सतीश ए से बरामद किए गए हैं।
1 जुलाई सीबीआई ने को डॉ. मंजप्पा, डॉ. चैत्रा, डॉ. अशोक, अतुल कुमार तिवारी को रायपुर से गिरफ्तार किया गया। वहीं बेंगलुरु से सतीश ए. और रविचंद्र के. को भी गिरफ्तार कर रायपुर लाया गया। 2 जुलाई को सभी को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया।
5 दिन CBI की रिमांड में 6 आरोपी
रायपुर स्पेशल कोर्ट में CBI ने सभी 6 आरोपियों की 5 दिनों की रिमांड मांगी। दोनों पक्षों का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को 7 जुलाई तक CBI रिमांड पर भेजा है। CBI की टीम NMC दल के 3 डॉक्टर समेत सभी 6 आरोपियों से 7 जुलाई तक पूछताछ करेगी।
सभी आरोपियों से रायपुर वीआईपी रोड स्थित CBI दफ्तर में पूछताछ होगी। रिमांड के दौरान परिवार के सदस्य और वकील रोजाना आधे घंटे के लिए उनसे मिल सकेंगे।
CBI ने जब्त किए दस्तावेज और डिजिटल सबूत
CBI के अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए कई रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे थे। आरोपियों के पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।