हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने देशभर में चल रहे भाषाई विवाद के बीच एक संतुलित और समावेशी बयान देकर नई सोच को दिशा दी है। उन्होंने कहा –
“तेलुगु हमारी मातृभाषा है, लेकिन हिंदी हमारी दादी के समान है।”
हैदराबाद के जीएमसी बालयोगी स्टेडियम में आयोजित राज्य भाषा विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह में उन्होंने यह बात कही और स्पष्ट किया कि हिंदी न केवल राष्ट्रीय एकता की भाषा है, बल्कि रोजगार, शिक्षा और फिल्म उद्योग जैसे क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि का साधन भी है।
“हिंदी से डर क्यों?” – पवन कल्याण का सवाल
पवन कल्याण ने कहा:
“अगर हम विदेश जाकर विदेशी भाषाएं सीख सकते हैं, तो हिंदी से दूरी क्यों? अंग्रेज़ी में बात करने में संकोच नहीं होता, लेकिन हिंदी बोलने में क्यों झिझकते हैं?”
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि तमिल होने के बावजूद कलाम जी ने हिंदी को सम्मान और अपनाया।
सांस्कृतिक गौरव को संकीर्णता से न जोड़ें
पवन कल्याण का स्पष्ट संदेश था कि:
- मातृभाषा (तेलुगु) का गौरव ज़रूरी है, लेकिन
- हिंदी को दादी के समान सम्मान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी दूसरी भाषा को अपनाने से पहचान नहीं खोती, बल्कि एकता और तरक्की का रास्ता खुलता है।
सरकार की नई नीति को बताया “समृद्धि का द्वार”
हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में स्कूली शिक्षा में शामिल करने की योजना बनाई है। इस पर पवन कल्याण ने कहा:
- यह फैसला आने वाली पीढ़ी को रोजगार और प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाएगा।
- राज्य सरकार अब हिंदी शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की योजना भी बना रही है।
“हिंदी को नकारना मतलब अवसर खोना”
उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा कि:
“हिंदी को अस्वीकार करना, भविष्य में अवसरों के द्वार बंद करने जैसा है।”
उन्होंने आग्रह किया कि भाषा को राजनीति का हथियार नहीं, बल्कि एकता और आत्मनिर्भरता का माध्यम बनाएं।