भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज अपना मिशन पूरा कर चार एस्ट्रोनॉट के साथ वापस पृथ्वी पर लौट आए हैं. शुंभाशु ने अपने इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष में करीब 18 दिन का समय बिताया है. इस दौरान उन्होंने कई प्रयोग भी किए हैं. करीब 23 घंटे के सफर के बाद उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन किया है.
शुंभाशु शुक्ला अपने चार एस्ट्रोनॉट ने साथ 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट से ISS के लिए निकले थे. पृथ्वी से 28 घंटे की यात्रा कर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे. यहां उन्होंने 18 दिन का समय बिताया है. ये नासा और SpaceX का संयुक्त मिशन है. इस स्पेस मिशन में 4 देशों के 4 एस्ट्रोनॉट शामिल हैं. ये देश हैं भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी जिनके एस्ट्रोनॉट मिशन में शामिल हैं.
शुभांशु की वापसी से जुड़े लाइव अपडेट्स…
शुभांशु की वापसी पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शुभांशु का धरती पर स्वागत है. पूरा देश शुभांशु का स्वागत करता है. शुभांशु अंतरिक्ष का दौरा करने वाले पहले भारतीय हैं. शुभांशु ने करोड़ों लोगों को प्रेरित किया है. ये उड़ान गगनयान मिशन के लिए मील का पत्थर है.
शुभांशु की वापसी पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के लिए गौरव का क्षण है. उन्होंने कहा कि भारत का यशस्वी बेटा सफल यात्रा से लौटा. सिंह ने कहा कि भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में स्थायी स्थान मिला.
शुभांशु के माता-पिता ने बेटे की वापसी पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि बेटे की वापसी पर बहुत खुश हूं. शुभांशु के माता-पिता ने बेटे की वापसी पर खुशी जताई है. शुभांशु के पिता ने कहा कि आज देश के लिए गौरव की बात है. हमारे लिए गर्व का क्षण है. सफल वापसी पर सभी को बधाई.
कब और कहां लैंड किए शुभांशु?
शुंभाशु शुक्ला के साथ चारों एस्ट्रोनॉट 14 जुलाई को शाम 4:45 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी के लिए रवाना हुए थे. ये सभी एस्ट्रोनॉट 15 जुलाई को पृथ्वी पर पहुंचे. आज यानी कि 15 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन हुआ. इसके बाद सभी एस्ट्रोनॉट को समुद्र से बाहर निकाला जाएगा.
इससे पहले स्पेसएक्स ने एक्स पर जानकारी शेयर करते हुए कहा था कि अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने और सैन डिएगो के तट पर उतरने की रास्ते पर है. इस मिशन को सफल बनाने के लिए 60 से अधिक वैज्ञानिक अध्ययन और 20 से अधिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए.
क्यों खास है शुंभाशु का ये मिशन?
शुंभाशु का ये मिशन इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि साल 1984 के बाद अंतरिक्ष जाने वाले वे भारत के दूसरे एस्ट्रोनॉट हैं. इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी. शुंभाशु के इस मिशन के बाद भारत भविष्य में कमर्शियल स्पेस स्टेशन की स्थापना कर सकता है. इसके साथ ही स्पेस में नई तकनीकों का परीक्षण और विकास भी किया जा सकेगा. इस मिशन के जरिए 2027 में मानव अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने में मदद मिलेगी.
कई प्रयोगों में लिया हिस्सा
शुभांशु भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन कमांडर हैं. 2000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है. शुभांशु ने अपनी इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान 60 से ज्यादा प्रयोगों में हिस्सा लिया है, जिसमें भारत के 7 प्रयोग शामिल हैं. शुभांशु ने अंतरिक्ष में मेथी और मूंग के बीजों को उगाया है. पिछले दिनों उसकी तस्वीरें भी सामने आईं थीं.
माता पिता कर रहे बेटे का इंतजार
एक्सिओम-4 मिशन के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से सफलतापूर्वक अनडॉक होने के बाद, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के माता-पिता ने सोमवार को कहा कि वे उनकी सुरक्षित लैंडिंग के लिए प्रार्थना करेंगे. उनके पिता ने कहा, “हमें बहुत खुशी है कि अनडॉकिंग सुरक्षित रूप से हुई. हमें उम्मीद है कि आज लैंडिंग भी सुचारू रूप से होगी. हमें ईश्वर पर पूरा भरोसा है.”