लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से लगातार सियासी उठापटक का सामना कर रहे विपक्षी INDIA गठबंधन को एक और बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस गठबंधन से अपने सभी संबंध पूरी तरह समाप्त करने की घोषणा कर दी है। संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले AAP के इस फैसले से विपक्ष की एकजुट रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
AAP और INDIA गठबंधन: अब कोई संबंध नहीं
आप नेता संजय सिंह ने साफ कर दिया कि आम आदमी पार्टी अब INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं है और भविष्य में किसी बैठक में शामिल नहीं होगी। उन्होंने कहा:
“हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि INDIA गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक सीमित था। अब हम स्वतंत्र हैं और अपनी नीति व प्राथमिकताओं पर काम करेंगे।”
AAP पहले ही हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और गुजरात में विधानसभा और उपचुनावों में अकेले चुनाव लड़ चुकी है, जो संकेत था कि पार्टी धीरे-धीरे गठबंधन से दूरी बना रही है। अब यह दूरी औपचारिक रूप से भी तय हो गई है।
संसद का मानसून सत्र और विपक्ष की रणनीति
21 जुलाई से शुरू हो रहा मानसून सत्र अब 21 अगस्त तक चलेगा। पहले इसे 12 अगस्त तक रखा गया था, लेकिन सरकार ने इसे एक सप्ताह बढ़ा दिया। विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने के लिए कई मुद्दों पर एकजुट होकर रणनीति बनाई है, जिनमें शामिल हैं:
- बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन
- ऑपरेशन सिंदूर
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावे
लेकिन अब AAP इन मुद्दों पर किसी सामूहिक विपक्षी बैठक में हिस्सा नहीं लेगी।
AAP का अलग रुख: दिल्ली और पूर्वांचल के मुद्दों पर फोकस
संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी संसद में दिल्ली-NCR में बुलडोजर कार्रवाई, पूर्वांचल के लोगों पर अन्याय, और उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बंद होने जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भले ही पार्टी गठबंधन से अलग हो गई है, लेकिन संसद में लोकतांत्रिक आवाज बुलंद करती रहेगी।
क्या इससे विपक्ष कमजोर होगा?
AAP के पास राज्यसभा में 8 सांसद और लोकसभा में 3 सांसद हैं। यह संख्या छोटी हो सकती है, लेकिन संसद में AAP की आवाज़ दमदार रही है। ऐसे में AAP का गठबंधन से अलग होना विपक्षी रणनीति की धार को कम कर सकता है।