(महाराष्ट्र), 26 जुलाई:
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई ने शनिवार को महाराष्ट्र के दर्यापुर (अमरावती) में न्यायपालिका को एक सटीक और सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि चाहे कोई न्यायाधीश हो, प्रशासनिक अधिकारी हो या वकील – कुर्सी अगर सिर में चढ़ जाए, तो न्याय नहीं, पाप हो जाता है।
CJI ने दर्यापुर में 28.54 करोड़ की लागत से बनी नव-निर्मित न्यायालय भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि यह भवन सिर्फ ईंट-पत्थर से बनी संरचना नहीं, बल्कि जनसेवा का मंदिर है।
“पद मिलते ही घमंड नहीं, विनम्रता ज़रूरी है” – CJI भूषण गवई
अपने भाषण में CJI गवई ने कहा,
“चाहे वह कलेक्टर की कुर्सी हो, पुलिस अधीक्षक की या फिर न्यायाधीश की— हर कुर्सी जनता की सेवा के लिए होती है। अगर यह पद सिर में चढ़ जाए तो न इंसाफ बचेगा, न ही सम्मान।”
उन्होंने अफसरों से लेकर न्यायिक अधिकारियों तक को साफ संदेश दिया कि पद का मतलब सेवा है, न कि अहंकार।
जूनियर वकीलों को चेतावनी: “सीनियर का सम्मान करना सीखो”
मुख्य न्यायाधीश ने कोर्ट में मौजूद युवा वकीलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आजकल 25 साल का वकील 70 साल के सीनियर वकील को देख कर भी अपनी कुर्सी से नहीं उठता।
“यह रवैया न्याय व्यवस्था के संस्कारों को तोड़ता है। जूनियर वकीलों को यह समझना होगा कि सीनियर का सम्मान केवल औपचारिकता नहीं, परंपरा है।”
“यह न्यायालय भवन केवल इमारत नहीं, जिम्मेदारी है”
CJI भूषण गवई ने कहा कि दर्यापुर और अंजनगांव के लोगों के लिए यह भवन बड़ी सौगात है। इसमें अब सिविल और क्रिमिनल मामलों की सुनवाई एक ही परिसर में की जाएगी, जिससे जनता को राहत मिलेगी।
उद्घाटन समारोह में भारी जनसमूह, अफसर और अधिवक्ता हुए शामिल
इस भव्य कार्यक्रम में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जिला प्रशासन के अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, स्थानीय अधिवक्ता संघ और आम नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए। सभी ने एकमत से CJI गवई के भाषण को समय की ज़रूरत बताया।