सीजी भास्कर 4 अगस्त
नई दिल्ली:
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। इस बार बयानबाज़ी की शुरुआत की है डोनाल्ड ट्रंप के भरोसेमंद सहयोगी स्टीफन मिलर ने, जिन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने दावा किया कि भारत यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहा है और अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया, तो उस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जा सकता है।
भारत को रूस से तेल खरीदने पर चेतावनी
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, स्टीफन मिलर ने कहा:
“ट्रंप साफ कर चुके हैं – रूस से तेल खरीदकर भारत युद्ध को फंड कर रहा है, और यह किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।”
मिलर ने यह भी दावा किया कि भारत और चीन दोनों ही रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग इस तथ्य को नहीं जानते कि भारत, चीन के साथ इस मामले में खड़ा है।
100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी – दबाव की रणनीति?
रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका की चेतावनियों के बावजूद भारत ने अभी तक रूसी तेल खरीदना नहीं रोका है। ट्रंप के खेमे से यह धमकी अब सीधे तौर पर भारत पर 100% टैरिफ लगाने की बात कर रही है। इससे दोनों देशों के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत पर गंभीर असर पड़ सकता है।
व्यापार समझौते पर अब तक नहीं बनी बात
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर कई सालों से बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया है। अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि और डेयरी सेक्टर में अधिक रियायतें दे, लेकिन भारत अपनी शर्तों से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
ट्रंप ने पहले ही 31 जुलाई को भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू करने की घोषणा कर दी है, जो कुछ ही दिनों में प्रभाव में आने वाला है। इसे भारत पर दबाव बनाने की चाल मानी जा रही है।
भारत की स्थिति – ऊर्जा सुरक्षा पहली प्राथमिकता
भारत कई बार स्पष्ट कर चुका है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा, और यह राष्ट्रीय हित में लिया गया फैसला है। भारत यह भी मानता है कि वह रूस से खरीदे जा रहे तेल को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन किए बिना आयात कर रहा है।
क्या यह ट्रेड वॉर की शुरुआत है?
ट्रंप के करीबी की यह चेतावनी आने वाले चुनावों की रणनीति भी हो सकती है, लेकिन इसका असर भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर पड़ेगा या नहीं, यह देखना होगा। फिलहाल, भारत ने कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है।