सीजी भास्कर 4 अगस्त
लखनऊ/छतरपुर
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर ज़िले के बमीठा थाने में उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई है। मामला सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को ‘महिला तस्कर’ कह दिया था।
क्या है पूरा मामला?
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ था जिसमें पुलिस एक एम्बुलेंस को रोकती है। इसमें मौजूद कुछ महिलाएं पूछताछ में बताती हैं कि वे बागेश्वर धाम में रह रही थीं, लेकिन अपनी असल पहचान छुपाकर। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ये महिलाएं अनैतिक गतिविधियों में शामिल थीं।
इसी वीडियो को शेयर करते हुए प्रोफेसर रविकांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित छोटा भाई धीरेन्द्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है।”
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा हो गया। बागेश्वर धाम समिति के सदस्य धीरेंद्र कुमार गौर ने प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी न केवल बाबा धीरेंद्र शास्त्री की छवि को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि लाखों सनातनियों की धार्मिक भावनाएं भी आहत करती है।
किस धारा में दर्ज हुआ केस?
छतरपुर पुलिस ने प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) के तहत मामला दर्ज किया है। यह धारा धर्म या धार्मिक विश्वास के खिलाफ उकसावे और अफवाह फैलाने से जुड़ी है।
बाबा धीरेंद्र शास्त्री का जवाब: “हम डरने वाले नहीं हैं”
FIR के बाद बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“हम पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो एक साज़िश का हिस्सा हैं। जबसे हमने जात-पात के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है, तभी से ये उपद्रवी एक्टिव हो गए हैं। लेकिन हम न रुकेंगे, न झुकेंगे। हमारा जन्म ही सनातन धर्म की सेवा के लिए हुआ है और हम अंतिम सांस तक इसी सेवा में रहेंगे।”
उन्होंने ये भी कहा कि आगामी 7 नवंबर से 16 नवंबर तक बागेश्वर धाम की पदयात्रा होने वाली है, जिससे कुछ लोगों की ‘नींद हराम’ हो गई है।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल
प्रोफेसर की पोस्ट और FIR के बाद सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंट गया है। कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात कर रहे हैं तो वहीं कुछ यूज़र्स इसे ‘धार्मिक भावना के खिलाफ घृणित हमला’ बता रहे हैं। फिलहाल प्रोफेसर रविकांत की तरफ से कोई औपचारिक सफाई सामने नहीं आई है।