मथुरा, उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बांके बिहारी कॉरिडोर विधेयक पास होने के बाद बृजवासी और संत समाज में खुशी का माहौल है। कई संतों ने इस फैसले को ब्रजभूमि के विकास के लिए ऐतिहासिक बताया है, वहीं बांके बिहारी मंदिर के सेवायत और सुप्रीम कोर्ट समिति के सदस्य हिमांशु गोस्वामी ने इसे कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है।
गोस्वामी का बयान – “यह असरदार नहीं, कोर्ट जाएंगे”
हिमांशु गोस्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस अध्यादेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद यूपी सरकार ने सर्वोच्च अदालत से विधानसभा में विधेयक पास करने की अनुमति मांगी, जो उन्हें मिल गई। हालांकि, उनका मानना है कि इस पर पहले से स्टे होने के कारण यह असरदार नहीं होगा।
उन्होंने कहा,
“हम इसे कोर्ट में लेकर जाएंगे। वकीलों से हमारी लगातार बातचीत चल रही है। सरकार मंदिर के कोष पर कब्जा करने के लिए नियमों को ताक पर रख रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।”
बृजवासी और संत समाज में उत्साह
दूसरी ओर, ब्रजवासियों और संतों ने इस विधेयक का स्वागत किया है।
- दिनेश फलाहारी महाराज (श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर-मस्जिद केस के मुख्य याचिकाकर्ता) ने कहा,
“मुख्यमंत्री जी ने ब्रज के विकास के लिए अहम फैसला लिया है। इससे भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी।”
- समाजसेवी राजेश पाठक ने कहा कि कॉरिडोर बनने से सभी को लाभ मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
कॉरिडोर से संभावित बदलाव
विशेषज्ञों का मानना है कि बांके बिहारी कॉरिडोर बनने से:
- मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित किया जा सकेगा
- ब्रजभूमि में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी
- रोजगार के नए अवसर मिलेंगे