सीजी भास्कर, 17 अगस्त। महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से हलचल मच गई है।
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और किसान मिशन के पूर्व अध्यक्ष किशोर तिवारी ने राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के साथ किसी भी तरह के गठबंधन का सख्त विरोध किया है।
उनका कहना है कि हाल ही में हुई चुनावी जीत पार्टी को हिंदी भाषियों और मुस्लिम मतदाताओं के सहयोग से मिली थी, और एमएनएस से हाथ मिलाने पर यही वोट बैंक नाराज हो जाएगा।
संजय राउत के बयान पर उठे सवाल
दरअसल, किशोर तिवारी का यह बयान तब सामने आया है जब एक दिन पहले शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने नासिक में कहा था कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की पार्टियां आगामी नगर निगम चुनावों में साथ लड़ सकती हैं।
राउत ने दावा किया था कि “ठाकरे भाइयों की ताकत मराठी भाषियों की एकता है और इस बार कोई ताकत उन्हें हरा नहीं सकती।”
लेकिन तिवारी इस विचार से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने यहां तक बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने उद्धव ठाकरे को पत्र भी लिखा है।
“MNS से गठबंधन पार्टी के लिए खतरा”
किशोर तिवारी का कहना है कि शिवसेना (यूबीटी) को हाल के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हिंदी भाषी और मुस्लिम समाज का जबरदस्त समर्थन मिला है। अगर पार्टी एमएनएस के साथ हाथ मिलाती है, तो यही वर्ग दूरी बना लेगा।
उन्होंने याद दिलाया कि राज ठाकरे की एमएनएस ने अतीत में गैर-मराठी और मुस्लिम समुदायों के खिलाफ अभियान चलाए थे। कभी हिंदी भाषियों पर हमले हुए, तो कभी मस्जिदों की अजान को लेकर विवाद खड़ा किया गया। ऐसे में यह गठबंधन शिवसेना (यूबीटी) के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।
“MNS का वोट बैंक खत्म, यह BJP की चाल”
तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि एमएनएस के पास अब कोई ठोस वोट बैंक नहीं बचा है।
उनका कहना है कि गठबंधन की यह चर्चा दरअसल बीजेपी की चाल है। बीजेपी चाहती है कि शिवसेना (यूबीटी) कमजोर पड़े और मुंबई सहित 11 बड़े नगर निगम चुनावों में हार जाए।
कांग्रेस और विपक्ष के साथ जुड़ने की अपील
किशोर तिवारी ने उद्धव ठाकरे से अपील की कि वे बीजेपी के दबाव में आकर गलत कदम न उठाएं।
उनका सुझाव है कि शिवसेना (यूबीटी) को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर महाविकास आघाड़ी को मजबूत करना चाहिए, ताकि बीजेपी को मजबूती से चुनौती दी जा सके।