ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश की मशहूर शारदा यूनिवर्सिटी इन दिनों सवालों के घेरे में है। बीते एक महीने में यहां दो छात्रों की आत्महत्या ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन की कार्यप्रणाली और कैंपस में छात्रों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
18 जुलाई को बीडीएस सेकेंड ईयर की छात्रा ज्योति जांगड़ा ने हॉस्टल में फांसी लगाकर जान दे दी थी। ठीक 29 दिन बाद, 16 अगस्त को बीटेक (कंप्यूटर साइंस) के छात्र शिवम कुमार डे ने भी हॉस्टल में खुदकुशी कर ली। इन घटनाओं से न सिर्फ छात्रों में दहशत का माहौल है, बल्कि परिजन और छात्र संगठन भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं।
ज्योति जांगड़ा केस: फैकल्टी पर टॉर्चर के आरोप
18 जुलाई की रात, हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली ज्योति जांगड़ा का शव हॉस्टल के कमरे से बरामद हुआ था।
- पुलिस को मिले कथित सुसाइड नोट में ज्योति ने दो फैकल्टी सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया था।
- उसने लिखा था कि दोनों शिक्षकों ने उसे मानसिक उत्पीड़न और अपमानित किया।
- पुलिस ने केस दर्ज कर दोनों फैकल्टी को गिरफ्तार किया और यूनिवर्सिटी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया।
ज्योति के दोस्तों का दावा है कि उसे लगातार ताने और दबाव का सामना करना पड़ रहा था। यही वजह थी कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीर माना और यूनिवर्सिटी प्रशासन से जवाब मांगा।
शिवम कुमार डे केस: फीस और एजुकेशन सिस्टम पर उठाए सवाल
16 अगस्त को बीटेक सेकेंड ईयर के छात्र शिवम कुमार डे का शव उसके हॉस्टल के कमरे से मिला।
- पुलिस को मिले सुसाइड नोट में शिवम ने किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया।
- उसने लिखा कि वह “यूजलेस” है और शिक्षा प्रणाली में फिट नहीं बैठता।
- उसने यूनिवर्सिटी से अपनी फीस परिवार को लौटाने की अपील की।
यूनिवर्सिटी प्रबंधन का कहना है कि शिवम का CGPA आवश्यक मानक से कम था। इसलिए उसे सुधार का मौका और स्पेशल एग्जाम ऑफर किया गया। साथ ही सिर्फ 40% फीस पर दोबारा सेकेंड ईयर में एडमिशन का विकल्प भी दिया गया। लेकिन शिवम ने री-एडमिशन नहीं लिया और कक्षाएं अटेंड नहीं कीं।
परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
शिवम के पिता कार्तिक डे ने कहा कि—
- “अगर शिवम डेढ़ साल से कॉलेज नहीं जा रहा था तो हॉस्टल और यूनिवर्सिटी ने हमें सूचना क्यों नहीं दी?”
- “बेटा क्लास नहीं अटेंड कर रहा था, लेकिन फीस समय पर ली जा रही थी।”
उनके सवालों ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन की निगरानी प्रणाली और छात्रों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
यूनिवर्सिटी पर उठ रहे बड़े सवाल
- एक महीने में दो छात्रों की आत्महत्या के बावजूद क्या प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया?
- हॉस्टल में सुरक्षा और निगरानी सिस्टम कितना मजबूत है?
- क्या छात्रों की मानसिक सेहत को लेकर यूनिवर्सिटी में कोई काउंसलिंग सुविधा मौजूद है?
- अगर कोई छात्र क्लास नहीं अटेंड कर रहा है, तो क्या उसके अभिभावकों को समय रहते जानकारी दी जाती है?