दिग्गजों की हुई अनदेखी
सीजी भास्कर, 21 अगस्त। छत्तीसगढ़ की राजनीति में बीजेपी ने बुधवार को बड़ा कदम उठाते हुए मंत्रिमंडल विस्तार किया।
राजभवन में तीन नए विधायकों – गजेंद्र यादव (दुर्ग), गुरु खुशवंत साहेब (आरंग) और राजेश अग्रवाल (अंबिकापुर) – ने मंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की टीम में अब कुल 14 मंत्री शामिल हो गए हैं।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीजेपी का यह कदम सीधा मिशन-2028 से जुड़ा हुआ है। पार्टी ने इस बार सीनियर नेताओं को किनारे कर नई पीढ़ी और जातीय समीकरणों पर फोकस किया है।
क्यों नजरअंदाज हुए दिग्गज नेता?
साय मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद रखने वाले कई अनुभवी नेताओं को इस बार बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
इनमें शामिल हैं –
- पुन्नूलाल मोहिले (6 बार विधायक)
- अमर अग्रवाल (5 बार विधायक)
- अजय चंद्राकर (5 बार विधायक)
- राजेश मूणत (4 बार विधायक)
- विक्रम उसेंडी (4 बार विधायक)
- धरमलाल कौशिक (4 बार विधायक)
- लता उसेंडी (3 बार विधायक)
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने “पावर शिफ्ट” का संदेश दिया है और नई पीढ़ी को बढ़ाकर 2028 विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाई है।
गजेंद्र यादव – OBC और बिहार कनेक्शन
दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव संघ पृष्ठभूमि से आते हैं और प्रांत संघचालक बिसराराम यादव के बेटे हैं।
यादव समाज को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने OBC वोट बैंक साधने के साथ-साथ बिहार पर भी नज़र गड़ाई है।
बिहार की 2023 जातिगत गणना के मुताबिक यादवों की आबादी 14.26% है।
मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने के बाद अब छत्तीसगढ़ में गजेंद्र यादव को मंत्री बनाकर भाजपा ने यह मैसेज दिया है कि पार्टी यादव समाज को राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता में भागीदारी दे रही है।
गुरु खुशवंत साहेब – SC वोट बैंक की रणनीति
आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब सतनामी समाज के बड़े चेहरों में गिने जाते हैं। वे संत गुरु बालदास के उत्तराधिकारी भी हैं।
2013 में बालदास के समर्थन से भाजपा को लाभ मिला था, जबकि 2018 में कांग्रेस का समर्थन करने से पार्टी को भारी नुकसान हुआ था।
खुशवंत को मंत्री बनाकर भाजपा ने साफ संकेत दिया है कि 2028 के चुनाव में SC वोट बैंक को अपने पाले में रखना पार्टी की प्राथमिकता है।
राजेश अग्रवाल – वैश्य समाज को संदेश
अंबिकापुर से विधायक राजेश अग्रवाल ने कांग्रेस नेता टीएस. सिंहदेव को हराकर बड़ा उलटफेर किया था।
वे वैश्य (व्यापारी) समाज से आते हैं।
रायपुर सांसद बनने के बाद बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से हटने के कारण इस वर्ग का प्रतिनिधित्व कमजोर हो गया था।
अब राजेश अग्रवाल को मंत्री बनाकर भाजपा ने व्यापारी समाज को यह संदेश दिया है कि सत्ता में उनकी भागीदारी सुनिश्चित है।