सीजी भास्कर, 21 अगस्त। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि विधवा बहू को भरण-पोषण (maintenance) का हक तब तक मिलेगा, जब तक वह पुनर्विवाह नहीं कर लेती।
यह आदेश हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
कोरबा जिले की चंदा यादव की शादी 2006 में गोविंद प्रसाद यादव से हुई थी।
लेकिन साल 2014 में सड़क हादसे में पति की मौत हो गई। इसके बाद चंदा अपने बच्चों के साथ अलग रहने लगी।
चंदा ने ससुर तुलाराम यादव से हर महीने 20 हजार रुपए भरण-पोषण की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
फैमिली कोर्ट ने दिसंबर 2022 में आदेश दिया कि ससुर अपनी बहू को 2,500 रुपए मासिक भरण-पोषण दें। यह राशि तब तक मिलेगी, जब तक बहू का पुनर्विवाह नहीं हो जाता।
ससुर की दलील
तुलाराम यादव ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
उनका कहना था कि वे पेंशन पर आश्रित हैं और उनकी आय सीमित है।
उन्होंने यह भी कहा कि बहू नौकरी कर सकती है।
इसके अलावा उन्होंने बहू पर अनुचित संबंधों के आरोप भी लगाए।
बहू का पक्ष
चंदा यादव के वकील ने दलील दी कि उनके पास कोई नौकरी नहीं है और न ही संपत्ति से कोई हिस्सा मिला है।
साथ ही बच्चों की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है, इसलिए भरण-पोषण ज़रूरी है।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने दस्तावेजों और दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद कहा कि तुलाराम यादव को 13 हजार रुपए पेंशन मिलती है और परिवार की जमीन से भी आय है।
वहीं, बहू की आय का कोई जरिया नहीं है। इसलिए विधवा बहू को भरण-पोषण का अधिकार है और यह पुनर्विवाह तक जारी रहेगा।
क्यों अहम है यह फैसला?
यह आदेश न केवल परिवारिक विवादों के लिए मिसाल है बल्कि यह भी दर्शाता है कि विधवा बहू अपने ससुर से भी भरण-पोषण की हकदार है। इससे भविष्य में ऐसे कई मामलों में कोर्ट का रुख साफ होता है।