सीजी भास्कर, 21 अगस्त : सरकार नई शिक्षा नीति के तहत विद्यालयों को आधुनिक रूप देने और बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है। ग्रामीण अंचल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी के कारण शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है।
डोंगरीपाली क्षेत्र की हकीकत
बरमकेला से 25 किलोमीटर दूर डोंगरीपाली क्षेत्र के कई स्कूलों में शिक्षक समय पर नहीं पहुंचते।
स्कूल खुल जाते हैं, लेकिन शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं।
बच्चे क्लासरूम में अव्यवस्थित बैठे रहते हैं और पढ़ाई के बजाय बातचीत करते हैं।
समय पर कक्षाएं न होने से छात्रों की पढ़ाई सीधा प्रभावित हो रही है।
निरीक्षण में भी लापरवाही
अधिकारियों की ओर से विद्यालयों का निरीक्षण नियमित रूप से नहीं किया जा रहा है। नतीजा यह है कि शासन के करोड़ों रुपये और योजनाएं जमीन पर असर नहीं दिखा पा रही हैं।
अभिभावकों का भरोसा टूट रहा, प्राइवेट स्कूल बन रहे विकल्प
शिक्षकों की लापरवाही और कक्षाओं के नियमित न होने से अभिभावक अब प्राइवेट स्कूलों का रुख कर रहे हैं।
उन्हें उम्मीद है कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को बेहतर अनुशासन और नियमित पढ़ाई मिलेगी।
यही कारण है कि सरकारी स्कूलों से बच्चों का नामांकन घट रहा है।