सीजी भास्कर, 22 अगस्त : छत्तीसगढ़ के धान की विलक्षण जैव विविधता एवं उत्पादन तकनीक ने उज्बेकिस्तान के डेनाऊ इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरप्रेन्योरशिप एंड पेडागॉजी के रेक्टर प्रो. ओयबेक आब्दीमुमीनोविच रोज़िव को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि उनके संस्थान ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के साथ कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान सहयोग हेतु समझौता किया है। (Chhattisgarh Rice Diversity)
प्रो. रोज़िव आज रायपुर में आयोजित “कृषि में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा एवं अनुसंधान सहयोग” विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर दोनों संस्थानों के मध्य शिक्षा एवं अनुसंधान में सहयोग हेतु समझौता पत्रों का आदान-प्रदान हुआ। समझौते के तहत कृषि, पर्यावरण, जल संरक्षण, सगंध एवं औषधीय पौधों का उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी और उद्यमिता विकास जैसे क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान कार्य किए जाएंगे। इससे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के अवसर प्राप्त होंगे।
संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। कार्यक्रम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.सी. अग्रवाल, सहायक महानिदेश डॉ. सीमा जग्गी एवं डॉ. रवि प्रकाश दानी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर उज्बेकिस्तान के वैज्ञानिकों ने विश्वविद्यालय परिसर में उपलब्ध अधोसंरचनाओं, अनुसंधान प्रक्षेत्रों एवं प्रयोगशालाओं का अवलोकन किया। गौरतलब है कि 17 अप्रैल 2025 को हुए समझौते के अंतर्गत दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी स्नातक, स्नातकोत्तर एवं शोध स्तर पर अध्ययन कर सकेंगे तथा प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक संयुक्त अनुसंधान करेंगे। (Chhattisgarh Rice Diversity)
प्रो. रोज़िव ने बताया कि उनके संस्थान में 4 संकाय, 14 विभाग एवं 34 पाठ्यक्रम संचालित होते हैं जिनमें लगभग 8 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं तथा 7 देशों के साथ अनुसंधान सहयोग किया जा रहा है। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों को उज्बेकिस्तान आने का आमंत्रण भी दिया। संगोष्ठी में कृषि शिक्षा सुधार, अनुसंधान सहयोग और कृषि व्यवसाय से जुड़े विविध विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
