सीजी भास्कर, 12 सितंबर। आम लोगों को किफायती और गुणवत्तापरक जेनरिक (Affordable Medicines) दवाओं के लिए न तो भटकना पड़ेगा और न ही भीड़ में धक्के खाकर दवाइयां लेनी पड़ेंगी। सरकार ने महानगरों और दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए जनऔषधि केंद्रों के बीच न्यूनतम दूरी मानक को वापस ले लिया है। इससे एक ही जगह कई सरकारी जनऔषधि केंद्र खोलने का रास्ता साफ होगा। लोगों के लिए ज़रूरी दवाइयां ज़्यादा सुलभ होंगी और उनकी जेब से होने वाला खर्च कम होगा।
बता दें कि केंद्र सरकार ने महंगी ब्रांडेड दवाओं के जवाब में पूरे देश में जनऔषधि (Health Policy) केंद्र खोलकर आम लोगों को बड़ी राहत पहुंचाई थी। ये जनऔषधि केंद्रों की शुरुआत साल 2014 से हुई थी। इन केंद्रों पर जेनरिक दवाएं मिलती हैं और ये ब्रांडेड कंपनियों की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती मिल जाती हैं, जबकि गुणवत्ता और प्रभावशीलता के मामले में महंगी ब्रांडेड दवाओं के बराबर ही होती हैं।
इस योजना का क्रियान्वयन फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) द्वारा किया जा रहा है। योजना (Government Scheme) से जुड़े आंतरिक दस्तावेजों में दूरी के नियम को खत्म करने का उल्लेख है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में ज्यादा जनसंख्या घनत्व को देखते हुए जनऔषधि केंद्रों तक लोगों की पहुंच, समान वितरण और व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम दूरी की जरूरतों को खत्म किया जा रहा है। सरकार ने जनऔषधि केंद्रों को संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए दो केंद्रों के बीच न्यूनतम एक किलोमीटर की दूरी का नियम बनाया था। हालांकि, दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में अब भी न्यूनतम एक किलोमीटर दूरी वाला मानक लागू रहेगा।
जनऔषधि केंद्रों को सरकार का समर्थन
योजना (Affordable Healthcare) के तहत सरकार जनऔषधि केंद्र खोलने पर 20,000 रुपये तक की मासिक प्रोत्साहन राशि और दो लाख तक की एकमुश्त सहायता देती है। दवाइयों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सभी जनऔषधि दवाएं उन्हीं कंपनियों से खरीदी जाती हैं जो डब्ल्यूएचओ-जीएमपी (विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक) का पालन करती हैं।
किन शहरों को होगा लाभ
महानगर- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और अहमदाबाद
मिलियन प्लस शहर- 10 लाख से ऊपर आबादी वाले 46 शहर होंगे दायरे में
इन प्रमुख शहरों को फायदा- पुणे, सूरत, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, नागपुर, गाजियाबाद, इंदौर, कोयंबटूर, कोच्चि
क्या कहते हैं आंकड़े
2014 में पूरे देश में केवल 80 जनऔषधि केंद्र थे। 30 जून 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 16,912 हो चुकी है। सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक 25,000 केंद्र (Public Health) खोले जाएं। इन केंद्रों पर 90 प्रतिशत तक सस्ती जेनरिक दवाएं मिल सकती हैं। यहां 2,047 प्रकार की दवाइयां और करीब 300 तरह के सर्जिकल सामान उपलब्ध होते हैं।