सीजी भास्कर, 13 सितंबर। लगभग 43 वर्षों तक भूमिगत रहकर माओवादी (Maoist Surrender Telangana) आंदोलन की रणनीतिकार रही शीर्ष महिला नेता और केंद्रीय समिति सदस्य (Top Maoist Leader) पोटुला पद्मावती उर्फ कल्पना उर्फ मयनक्का उर्फ सुजाता ने शनिवार को आत्मसमर्पण कर दिया। तेलंगाना पुलिस महानिदेशक की मौजूदगी में उन्होंने हथियार डालते हुए मुख्यधारा में वापसी की घोषणा की।
62 वर्षीय सुजाता तेलंगाना के जोगुलंबा गढ़वाल जिले के पेंचिकलपाडु गांव की मूल निवासी हैं। माओवादी संगठन में उन्होंने केंद्रीय समिति सदस्य, सचिवालय सदस्य, दक्षिण उप–क्षेत्रीय ब्यूरो सचिव और दंडकारण्य क्षेत्र में ’जनताना सरकार’ की प्रभारी जैसी अहम जिम्मेदारियां संभालीं।
डाकपाल पिता की बेटी से खूंखार माओवादी तक
साधारण किसान परिवार में जन्मी सुजाता अपने छात्र जीवन में ही वामपंथी विचारधारा (Left Wing Ideology) से प्रभावित हुईं। उसके पिता गांव के डाकपाल थे। 1982 में वह पीपुल्स वार ग्रुप से जुड़ गईं और जल्दी ही संगठन की सांस्कृतिक इकाई जन नाट्य मंडली का हिस्सा बनीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात वरिष्ठ माओवादी(Maoist Surrender Telangana) नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी से हुई, जिनसे उन्होंने विवाह किया। किशनजी 2011 में पश्चिम बंगाल–झारखंड सीमा पर पुलिस मुठभेड़ (Police Encounter) में मारा गया।
बस्तर को माओवाद की आग में झोंका
संगठन में प्रवेश के बाद सुजाता ने गढ़चिरौली और बस्तर के घने जंगलों (Dandakaranya Region) में दलम कमांडर और एरिया कमेटी सचिव जैसी जिम्मेदारियां निभाईं। 2001 में उन्हें दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (डीकेएसजेडसी) में जगह मिली। 2007 में वे सचिवालय सदस्य बनीं और दक्षिण बस्तर की ’जनताना सरकार’ की कमान संभाली। 2022 में उसे दक्षिण उप–क्षेत्रीय ब्यूरो की सचिव बनाया गया और 2023 में वह माओवादी केंद्रीय समिति की सदस्य बनीं।
सेहत बिगड़ने पर छोड़ा संगठन
लगातार कठिन जीवन और गिरती सेहत के चलते सुजाता ने मई 2025 में संगठन छोड़ने की इच्छा जताई थी। उन्होंने औपचारिक रूप से केंद्रीय समिति को पत्र लिखकर सरकार की पुनर्वास नीति (Rehabilitation Policy) के तहत सामान्य जीवन जीने की इच्छा व्यक्त की। तेलंगाना सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाली सुजाता को 25 लाख रुपये की इनामी राशि डिमांड ड्राफ्ट के रूप में सौंपी।
साथ ही, पुनर्वास नीति के अंतर्गत उन्हें सभी सुविधाएं दी जाएंगी ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें। तेलंगाना पुलिस ने इसे अपनी समग्र रणनीति की बड़ी उपलब्धि बताया। तेलंगाना में वर्ष 2025 में अब तक 404 माओवादी(Maoist Surrender Telangana), जिनमें चार राज्य समिति सदस्य और 34 एरिया कमेटी सदस्य शामिल हैं, हथियार छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। पुलिस महानिदेशक ने सभी भूमिगत माओवादियों से अपील की कि वे संघर्ष का रास्ता छोड़ अपने गांव लौटें और राज्य के विकास में योगदान दें।