Women Leaders Transform Villages : गांव की तस्वीर बदलने का बीड़ा जब महिला नेतृत्व (Women Leaders Transform Villages) ने उठाया तो नतीजे उम्मीद से कहीं आगे निकले। रायपुर में आयोजित स्वच्छ व हरित पंचायत कार्यशाला में जिले की 12 महिला सरपंचों ने न सिर्फ अनुभव साझा किए बल्कि यह भी बताया कि किस तरह सीमित संसाधनों, सामाजिक चुनौतियों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने पंचायत को “स्वच्छ और हरित” बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए। महिला सरपंचों ने बताया कि शुरुआत आसान नहीं थी। कई गांवों में लोग (Waste Management) या सामुदायिक शौचालय को गंभीरता से नहीं लेते थे।
प्लास्टिक कचरा रोकने के प्रयासों में भी शुरू में विरोध झेलना पड़ा। लेकिन निरंतर समझाइश, ग्रामसभा में संवाद और युवाओं को जोड़कर हालात बदले। इस दौरान सरपंच संतोषी साहू (सोनपैरी), लक्ष्मी साहू (परसकोल), रानी सुनील डहरिया (चीचा), प्रेमिन मारकंडे(रीको), हेमलता साहू (मनीकचौरी), अन्नपूर्णा साहू (सोनपैरी), तिलेश्वरी साहू (कांदुल), रुखमणी साहू (कुरूद), संगीता ध्रुव (चरौदा), सीमा वर्मा (तर्रा), रितु साहू (तेंदुआ) और मानाबस्ती की सरपंच सुनीता बैस मौजूद थीं।
एक सरपंच ने कहा, “हमारे गांव में शुरुआत में लोग खुले में कचरा फेंकते थे। हमने घर-घर जाकर समझाया, बच्चों को शामिल किया और अब गांव में डस्टबिन और कम्पोस्ट पिट बनने लगे हैं।” एक अन्य सरपंच ने बताया कि ग्राम पंचायत (Women Leaders Transform Villages) में महिलाओं की सक्रियता से लोग स्वच्छता को परिवार की जिम्मेदारी मानने लगे हैं। पहले लोग कहते थे ‘ये तो सरकार का काम है’, अब हर घर का व्यक्ति इसे अपना कर्तव्य मानता है। यह (Community Leadership) में महिलाओं की ताकत को दर्शाता है।
महिला सरपंचों ने लाइफ मिशन की अवधारणा को भी अनुभव से जोड़ा। कहा कि सिर्फ कचरा उठाना या शौचालय बनाना पर्याप्त नहीं है, असल बदलाव तभी होगा जब गांव का हर नागरिक जीवनशैली में स्वच्छता और हरियाली को शामिल करेगा। कार्यशाला में यूनिसेफ, एसीई और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के विशेषज्ञों ने तकनीकी जानकारी दी। अधिकारियों का मानना है कि महिला प्रतिनिधियों के नेतृत्व में ये पहल स्थायी रूप ले सकती है। यह (Sustainable Development) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इन 12 महिला सरपंचों ने यह साबित किया कि इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास से गांव बदलना मुश्किल नहीं। उन्होंने साफ किया कि पंचायत भवन से लेकर गांव की गलियों तक, महिलाओं की भूमिका अब सिर्फ भागीदारी तक सीमित(Women Leaders Transform Villages) नहीं, बल्कि नेतृत्वकारी है। यह (Rural Transformation) और (Women Empowerment) के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है।