सीजी भास्कर, 15 सितंबर। अस्पताल का माहौल अचानक चीख-पुकार और भगदड़ में तब्दील हो गया। मरीज (Hospital Violence) की मौत के बाद गुस्साए परिजन अनियंत्रित हो उठे और हालात ऐसे बने कि एक महिला डॉक्टर को जान बचाकर भागना पड़ा। वहां मौजूद लोग जो देख रहे थे, उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि इलाज कराने आए लोग हिंसा पर उतारू हो जाएंगे। पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी कैमरों में कैद हो चुका है।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पहले हल्की बहस शुरू हुई थी, लेकिन कुछ ही मिनटों में हालात बेकाबू हो गए। डॉक्टर को धक्का-मुक्की के साथ दौड़ाया गया और महिला रिश्तेदारों ने मिलकर उनके कपड़े तक फाड़ दिए। इस बीच अन्य स्टाफ भी दहशत में आ गया और अस्पताल में अफरातफरी मच गई। (Hospital Violence) के इस मामले ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी।
इसके बाद डॉक्टरों और कर्मचारियों ने कामकाज पूरी तरह बंद कर दिया। दवा दुकानदारों ने भी विरोध में अपनी दुकानें बंद कर दीं। इससे स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गईं और मरीजों को भटकना पड़ा। चारों तरफ सिर्फ यही चर्चा थी कि आखिर डॉक्टर पर इतना बड़ा हमला क्यों हुआ।
यह घटना मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के माचलपुर क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में हुई। यहां 23 वर्षीय अरविंद नामक युवक गंभीर हालत में लाया गया था। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पायल पाटीदार ने उसे तत्काल राजस्थान के झालावाड़ रेफर किया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। युवक की मौत से गुस्साए परिजन शव लेकर वापस लौटे और (Hospital Violence) को अंजाम दिया।
वीडियो फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि डॉक्टर जान बचाने के लिए अस्पताल से बाहर भाग रही हैं और भीड़ उनका पीछा कर रही है। पीड़ित डॉक्टर की शिकायत पर पुलिस ने हमला करने वाले परिजनों पर केस दर्ज किया है। फिलहाल सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है।
इस घटना के बाद डॉक्टर और स्टाफ आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि जब तक आरोपियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे। (Hospital Violence) की इस वारदात ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र को झकझोर दिया है और सवाल उठाया है कि क्या डॉक्टर अब सुरक्षित हैं।