सीजी भास्कर, 17 सितंबर। सालों से दबा एक बड़ा मामला आखिरकार फिर सुर्खियों में है। वह भर्ती (Teacher Recruitment Scam) प्रक्रिया, जिस पर लगातार सवाल उठते रहे, अब पुलिस कार्रवाई तक पहुंच चुकी है। लंबे समय से चले आ रहे आरोपों का बोझ आखिरकार इतना भारी पड़ा कि गिरफ्तारी करनी पड़ी। शिकायतकर्ता की वर्षों की लड़ाई और बार-बार की पैरवी के बाद अब जाकर न्याय की दिशा में कदम बढ़ा है।
साल 2007 की शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन भर्ती (Teacher Recruitment Scam) में फर्जी प्रमाण पत्र और अंकों की हेरफेर कर अपात्र लोगों का चयन किया गया था। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई, लेकिन आखिरकार पुलिस ने अब तीन आरोपितों को पकड़कर न्यायिक रिमांड में भेज दिया है।
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी विकासखंड में शिकायतकर्ता कृष्ण कुमार साहू ने आरोप लगाया था कि भर्ती प्रक्रिया में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और अंकतालिका का इस्तेमाल कर योग्य उम्मीदवारों को वंचित किया गया। इस मामले (Teacher Recruitment Scam) में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कई अभ्यर्थियों को जानबूझकर बाहर कर दिया गया।
पुलिस की जानकारी के अनुसार, अब तक इस भर्ती घोटाले में 105 आरोपितों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। इनमें से 17 की मौत हो चुकी है। पूर्व में एक तत्कालीन सीईओ को गिरफ्तार किया गया था, जबकि पांच आरोपितों ने अग्रिम जमानत ले ली थी। इस भर्ती घोटाले (Teacher Recruitment Scam) में चार अधिकारी और सात जनप्रतिनिधि भी शामिल थे।
17 सितंबर को हुई कार्रवाई के बाद सामने आया कि 40 से 45 शिक्षाकर्मी अभी भी नौकरी कर रहे हैं, जिनकी नियुक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई थी। इससे पूरे विभाग में हड़कंप मचा है। पुलिस ने साफ किया कि कई आरोपी अब भी फरार हैं और जल्द गिरफ्तारी होगी। भर्ती प्रक्रिया (Teacher Recruitment Scam) में अनियमितताओं ने शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
2007-08 की भर्ती प्रक्रिया में स्वीकृत 150 पदों की जगह 172 पदों पर नियुक्ति कर दी गई। जांच में सामने आया कि इस भर्ती में कूटरचित योग्यता प्रमाण पत्र, अमान्य डिग्रियां, एनसीसी और स्काउट-गाइड प्रमाण पत्र, खेल प्रमाण पत्र और यहां तक कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का उपयोग किया गया। चयन समिति (Teacher Recruitment Scam) ने अपने परिवार के सदस्यों को भी शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन के पदों पर नियुक्त कर लिया।
जनपद पंचायत द्वारा अब तक 19 शिक्षाकर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं। कई ने खुद इस्तीफा दे दिया। कुल मिलाकर लगभग 140 पदों पर की गई इस फर्जी भर्ती ने यह साफ कर दिया कि सांठगांठ और हेरफेर ने व्यवस्था को कैसे खोखला कर दिया।
अब तक की कार्रवाई
शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन भर्ती 2007 फर्जीवाड़ा मामले में पुलिस ने अब तक 105 आरोपितों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। इनमें से 17 की मौत हो चुकी है। पूर्व में तत्कालीन सीईओ को गिरफ्तार किया गया था। 17 सितंबर को तीन और आरोपितों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड में भेजा गया। वहीं पांच आरोपितों ने अग्रिम जमानत ले ली है। इस कार्रवाई के बाद फर्जी दस्तावेजों से नौकरी कर रहे कई शिक्षाकर्मियों में हड़कंप मच गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
2007-08 की भर्ती प्रक्रिया में 150 पद स्वीकृत थे, लेकिन सांठगांठ कर 172 पदों पर भर्ती कर दी गई। इसमें फर्जी अनुभव पत्र, कूटरचित अंकतालिका, अमान्य प्रमाण पत्र, स्काउट-गाइड, एनसीसी, खेल और फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का सहारा लिया गया। चयन समिति ने अपने रिश्तेदारों को भी पद दिलाए। अब तक 19 सेवाएं समाप्त और कई इस्तीफे हो चुके हैं। कुल मिलाकर लगभग 140 पदों पर फर्जी भर्ती की पुष्टि हुई है।
