सीजी भास्कर, 29 सितम्बर | रायपुर महानगर में रविवार को RSS Vijayadashami Path Sanchalan in Raipur के साथ विजयादशमी पर्व की शुरुआत हुई। इस वर्ष का आयोजन विशेष इसलिए माना जा रहा है क्योंकि यह संघ के शताब्दी वर्ष का पहला विजयादशमी पर्व है। पथ संचलन रायपुर के 14 नगरों में से 5 नगरों की 5 बस्तियों में एक साथ सम्पन्न हुआ, जिसमें करीब 500 स्वयंसेवकों ने गणवेश में हिस्सा लिया।
शताब्दी वर्ष में हर स्वयंसेवक का लक्ष्य
संघ शताब्दी वर्ष के इस प्रथम विजयादशमी आयोजन का मुख्य उद्देश्य मंडल और बस्ती स्तर पर हर स्वयंसेवक को गणवेश में जोड़ना है। यही वजह है कि RSS Vijayadashami Path Sanchalan in Raipur 25 सितंबर से 15 अक्टूबर तक अलग-अलग बस्तियों में आयोजित किया जाएगा।
पांच नगरों में हुआ पथ संचलन
- कृषक नगर (गायत्री नगर बस्ती): सुबह 8 बजे हुए संचलन में रायपुर महानगर प्रचारक मनोज कश्यप ने कहा कि “व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है।” मुख्य अतिथि के रूप में डीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त अपर संचालक, कृषि विभाग) शामिल हुए। कुल 159 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
- पुरानी बस्ती (भाटागांव बस्ती): यहां सह कार्यवाह आकाशदीप गुप्ता ने ‘पंच परिवर्तन’ (सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्व का भाव और नागरिक कर्तव्य) पर बल दिया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ वकील वेदु राम धनगर रहे। 90 स्वयंसेवक शामिल हुए।
- गुडियारी नगर (तिलक नगर बस्ती): सह कार्यवाह अमोल गोरे ने कहा कि “संघ ने 100 वर्षों में अनेक संघर्षों से गुजरकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन की राह दिखाई।”
- रायपुरा नगर (महादेव घाट बस्ती): गोविंदराम बसोने ने कहा कि पंच परिवर्तन से ही समाज में व्यापक बदलाव संभव है। मुख्य अतिथि महंत राघवेंद्र गोस्वामी और जैनेन्द्र जैन रहे। इस बस्ती में 65 स्वयंसेवक शामिल हुए।
- शंकर नगर (शंकर नगर बस्ती): निश्चय बाजपेई ने कहा कि “संघ की 100 वर्ष की यात्रा समाज और राष्ट्र की चुनौतियों का समाधान दिखाती है।” मुख्य अतिथि प्रदीप कुमार जैन रहे और 82 स्वयंसेवक उपस्थित हुए।
अनुशासन और उत्साह का मिला-जुला रूप
सभी नगरों में पथ संचलन पूरी अनुशासन, सादगी और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। RSS Vijayadashami Path Sanchalan in Raipur न केवल सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बना, बल्कि इसने स्थानीय लोगों को भी आकर्षित किया।
रायपुर महानगर के लिए ऐतिहासिक क्षण
यह आयोजन रायपुर महानगर में संघ शताब्दी वर्ष का पहला बड़ा कार्यक्रम है। स्वयंसेवकों की संख्या और अनुशासन ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। आने वाले दिनों में और भी नगरों में पथ संचलन आयोजित होंगे, जिससे संघ के शताब्दी वर्ष की गूंज पूरे शहर में सुनाई देगी।