बिलासपुर। Achanakmar Tiger Reserve Tiger Population में हालिया इजाफे ने वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों दोनों को रोमांचित कर दिया है। ताज़ा आकलन में रिजर्व में बाघों की संख्या 18 बताई गई है, जिसमें आठ शावक (Cubs) भी शामिल हैं। यह जानकारी प्रबंधन द्वारा समीक्षा बैठक में साझा की गई। माना जा रहा है कि संरक्षण की मौजूदा रणनीतियां जारी रहीं तो आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
बाघों की बढ़ती संख्या का राज़
प्रबंधन का दावा है कि Achanakmar Tiger Reserve Tiger Population में यह बढ़ोतरी सिर्फ संयोग नहीं बल्कि बेहतर योजना का नतीजा है। यहां सुरक्षा (Protection), घास के मैदानों का विकास और प्राकृतिक जलस्त्रोत (Natural Water Sources) अहम भूमिका निभा रहे हैं। वर्तमान में एटीआर (ATR) क्षेत्र में 500 से अधिक जलस्त्रोत मौजूद हैं, जिनमें सालभर पानी रहता है। यही वजह है कि बाघों के लिए यह जगह आदर्श आवास बन चुकी है।
निगरानी व्यवस्था और ट्रैकिंग सिस्टम
संख्या में यह इजाफा केवल अनुमान नहीं बल्कि ठोस सबूतों पर आधारित है। ट्रैप कैमरों (Trap Cameras) की मदद से बाघों की गतिविधियों को दर्ज किया गया। इनके अलावा विशेष टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (STPF) की टीमें लगातार निगरानी रखती हैं और हर हफ्ते डेटा का एनालिसिस (Data Analysis) कर रिपोर्ट तैयार करती हैं। इस काम के लिए कोटा में विशेष GIS सेल की स्थापना भी की गई है।
वनमंत्री ने अफसरों को सराहा
बाघों की बढ़ी संख्या पर वनमंत्री ने अधिकारियों की मेहनत की सराहना की और कहा कि इसी तरह संरक्षण कार्य को जारी रखा जाए। उन्होंने साफ किया कि टाइगर रिजर्व की यह उपलब्धि पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। साथ ही, उन्होंने और सुदृढ़ सुरक्षा इंतज़ाम के निर्देश दिए।
16 साल का सफर और बदलता आकलन
साल 2009 में जब अचानकमार को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया, तब इसकी शुरुआत एक चुनौतीपूर्ण दौर से हुई थी। शुरुआती वर्षों में बाघों की गिनती (Tiger Counting) पारंपरिक तरीकों से होती थी और आंकड़े स्पष्ट नहीं मिलते थे। लेकिन अब आधुनिक तकनीक, खासकर ट्रैप कैमरों के इस्तेमाल से वास्तविक आंकड़े सामने आ रहे हैं। इसी वजह से अब बाघों का आधिकारिक कुनबा सबके सामने है।
पर्यटन को नई दिशा
Achanakmar Tiger Reserve Tiger Population बढ़ने के बाद पर्यटक आकर्षण और बढ़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यहां सफारी के दौरान रोज़ाना बाघों के दीदार की संभावना बढ़ जाएगी। यह न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल देगा बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैलाएगा।