सीजी भास्कर, 02 अक्टूबर | छत्तीसगढ़ में सामने आया अब तक का सबसे बड़ा NGO घोटाला (NGO scam in Chhattisgarh) ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है। आरोप है कि एक मंत्री और 7 वरिष्ठ IAS अधिकारियों ने मिलकर ऐसा फर्जी नेटवर्क खड़ा किया, जिसने 15 सालों तक सरकारी विभाग का ढांचा कॉपी कर करोड़ों की रकम डकार ली। मामला अब CBI जांच के घेरे में पहुंच चुका है।
2004 से शुरू हुआ NGO घोटाले का खेल
कहानी की शुरुआत 16 नवंबर 2004 से हुई। इसी दिन एक मंत्री और सात IAS अफसरों ने मिलकर दो NGO रजिस्टर्ड किए — स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRRC)। न तो इनके पास स्थायी दफ्तर था, न कर्मचारी, न ही सरकारी मान्यता। सब कुछ केवल फाइलों और कागजों पर दिखाया गया। इन संस्थाओं का उद्देश्य दिव्यांगों को सहायता और उपकरण देना बताया गया, लेकिन असल में यह महज परदे का खेल था।
NGO scam in Chhattisgarh: सरकारी पैटर्न पर फर्जी कर्मचारियों की नियुक्ति
इस NGO सिंडिकेट ने रायपुर और बिलासपुर में काल्पनिक कर्मचारियों की नियुक्तियां दिखाईं। पे-स्केल (pay scale) पूरी तरह सरकारी पैटर्न जैसा रखा गया। हर कर्मचारी को 27 से 30 हजार की सैलरी दिखाकर हर महीने डबल–ट्रिपल पेमेंट निकाला गया। यही नहीं, कई कर्मचारियों के नाम पर एक ही समय में दो-दो जगह वेतन जारी होता रहा।
कैसे खुला NGO scam in Chhattisgarh का राज?
इस घोटाले का खुलासा हुआ 2016 में। रायपुर के कुंदन ठाकुर नामक संविदा कर्मचारी ने जब अपनी नौकरी रेगुलर कराने की कोशिश की, तो उन्हें पता चला कि वे पहले से ही सहायक ग्रेड-2 पद पर पदस्थ दिखाए गए हैं और उनके नाम पर सालों से वेतन निकाला जा रहा है। हैरान कुंदन ने RTI दायर कर सच्चाई सामने लाई। जांच में पता चला कि रायपुर और बिलासपुर में 30 से ज्यादा ऐसे नाम थे, जिन पर फर्जीवाड़ा चल रहा था।
कोर्ट तक पहुंचा मामला, सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
जब कुंदन ने यह मामला अदालत तक पहुंचाया तो धीरे-धीरे परतें खुलने लगीं। हाईकोर्ट ने पाया कि NGO का कोई ऑडिट नहीं हुआ, न ही कोई चुनाव आयोजित किया गया। नियम कहता है कि सरकारी कर्मचारी NGO में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन यहां मंत्री और IAS अफसरों ने मिलकर संस्था बनाई और 14 साल तक करोड़ों की राशि सरकारी योजनाओं से खाते में ट्रांसफर करवाई।
NGO scam in Chhattisgarh पर हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग से जुड़े इस घोटाले को गंभीर मानते हुए CBI जांच का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी 5 फरवरी 2020 को दर्ज एफआईआर के आधार पर आगे की कार्रवाई करे और 15 दिन के भीतर सभी दस्तावेज जब्त करे। अदालत को 31 बिंदुओं पर गड़बड़ियां मिलीं, जिनसे साबित हुआ कि घोटाले का पैमाना बेहद बड़ा था।