सीजी भास्कर, 02 अक्टूबर | कोरबा में शारदीय नवरात्रि का समापन आस्था और भक्ति के बीच संपन्न हुआ। अश्विन शुक्ल नवमी को हसदेव नदी में जवारा कलश विसर्जन (Jawara Kalash Visarjan Korba) किया गया। इसी के साथ मां सर्वमंगला देवी मंदिर में नौ दिनों से चल रहा पर्व श्रद्धा और उल्लास के बीच संपन्न हो गया।
ज्योति कलश और हवन-पूजन के बाद विसर्जन
अष्टमी तिथि पर मंदिर परिसर में ज्योति कलशों का हवन-पूजन कर नवरात्रि की पूर्णाहुति दी गई थी। इसके अगले दिन कलश विसर्जन की परंपरा निभाई गई। राजपुरोहित नमन पाण्डेय (नन्हा महाराज) ने अपनी माता और धर्मपत्नी के साथ परंपरा के अनुसार कलश को सिर पर रखकर नारी शक्ति की पूजा-अर्चना की। इसके बाद पूरे सम्मान के साथ कलशों को हसदेव नदी की ओर रवाना किया गया।
Jawara Kalash Visarjan Korba: ढोल-मंजीरा और जसगीत के साथ शोभायात्रा
कलश विसर्जन के लिए मंदिर से हसदेव घाट तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। रक्षक दल के रूप में हनुमान और उनकी वानर सेना सबसे आगे चल रही थी। ढोल-मंजीरा और जसगीत की ताल पर भक्त मां के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते रहे। पूरा वातावरण भक्ति और आस्था से गूंज उठा।
भक्तिभाव में डूबा शहर
विसर्जन यात्रा के दौरान मंदिर से लेकर नदी घाट तक मां के भजनों और कीर्तन की गूंज सुनाई दी। श्रद्धालु ढोल-मंजीरा की धुन पर झूमते हुए मां की महिमा गाते रहे। हर कदम पर श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति का रंग देखने लायक था।
कन्या भोज के साथ हुई पूर्णाहुति
मां सर्वमंगला मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरों में भी नवरात्रि का समापन धूमधाम से हुआ। दादर स्थित कंकालीन मंदिर और सीतामढ़ी के मां दुर्गा मंदिर में नौ दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना और अखंड ज्योत प्रज्वलित की गई। अंतिम दिन कन्या भोज का आयोजन हुआ, जिसमें छोटी-छोटी बच्चियों को देवी का स्वरूप मानकर पूजित किया गया और उन्हें आदरपूर्वक विदा किया गया।
Jawara Kalash Visarjan Korba: आस्था और परंपरा का संगम
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने न केवल कलश विसर्जन में भाग लिया, बल्कि उपवास के बाद घर-घर में भी कन्या भोज आयोजित किया। बच्चियों को मां का श्रृंगार देकर सम्मानित किया गया। नवरात्रि का यह पर्व आस्था और परंपरा का संगम बना, जिसने भक्तों के मन में मां दुर्गा के प्रति अटूट श्रद्धा भर दी।