सीजी भास्कर, 5 अक्टूबर। पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव रखा है और इसपर परामर्श मांगे हैं. अगर ये बदलाव होता है तो यह अबतक का एनपीएस (Pension Reform) के तहत सबसे बड़ा बदलाव होगा. यह नया बदलाव- पेंशन की गारंटी और रिटायरमेंट इनकम (Retirement Income) को लेकर चिंताओं को दूर करता है, जो मौजूदा NPS में नहीं हैं. सीधे शब्दों में कहें तो NPS के तहत पेंशन की गारंटी मिल सकती है.
साथ ही रिटायरमेंट इनकम (Retirement Income) की टेंशन दूर हो सकती है. नया प्रस्ताव यह भी छूट देता है कि आप जितना चाहे, उतना पैसा निकाल सकते हैं. PFRDA ने प्रस्तावों पर विचार-विमर्श के लिए जानकारों, पेंशन फंडों और अन्य हितधारकों से प्रतिक्रिया मांगी है. नियामक का कहना है कि इसका उद्देश्य संचयन और विनिवेश, दोनों चरणों को शामिल करके भारत में पेंशन को लेकर इंटरेस्ट बढ़ाना है.
अभी वाला NPS एक पारदर्शी कंट्रीब्यूशन योजना के तहत संचालित है, जो मार्क टू मार्केट वैल्यूवेशन को प्राथमिकता देता है. लेकिन उतनी फ्लेक्सबिलिटी नहीं है. एक निवेशक के तौर पर बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण अनियमित कंट्रीब्यूशन (Pension Reform) और कम रिटर्न (Return) जैसी चुनौतियों के कारण नुकसान हो सकता है. इसी कमियों को दूर करने के लिए नियामक ने 3 तरह के पेंशन मॉडल का प्रस्ताव रखा है. 3 तरह का मॉडल अलग-अलग तरह के लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जो वे अपनी आवश्यकता अनुसार चुन सकते हैं.
पहला- स्टेप-अप SWP और एन्युटी के जरिए पेंशन
पहला मॉडल फ्लेक्सिबिलिटी देने के लिए एक सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (SWP) को एन्युटी के साथ जोड़ता है, लेकिन पेंशन राशि या लाभों पर कोई गारंटी (Guarantee) नहीं देता. निवेशक एक कैलकुलेशन के हिसाब इसमें पेंशन का अंदाजा लगा सकते हैं. इस पेंशन प्लान के तहत कम से कम 20 साल का योगदान आवश्यक है, जो 18 साल की आयु से शुरू कर सकते हैं और अधिकतम की लिमिट नहीं है.
इसके तहत 45 वर्ष की आयु तक 50% कंट्रीब्यूशन इक्विटी में निवेश किया जाता है और उसके बाद धीरे-धीरे कम किया जाता है. रिटायरमेंट पर निवेशक को शुरू में SWP के माध्यम से एन्युटी फंड का 4.5% मंथली दिया जाता है, जिसमें 10 साल (Pension Reform) तक हर साल 0.25 फीसदी की ग्रोथ होगी.
70 वर्ष की आयु में, बाकी फंड का उपयोग 20 वर्षों के लिए और उसके बाद आजीवन एन्युटी खरीदने के लिए किया जा सकता है. 90 वर्ष की आयु से पहले अंशदाता की मृत्यु होने पर, जीवनसाथी या बच्चों को उनके काल्पनिक 90वें जन्मदिन तक लाभ मिलता रहेगा.
दूसरा- महंगाई से जुड़ा पेंशन
दूसरे मॉडल के जरिए महंगाई से जुड़ा एक तय पेंशन लाभ दिया जाता है. यह कस्टमर्स को रिटायरमेंट (Retirement) के बाद पहले साल में मिलने वाले पेंशन तय करता है. इसके बाद हर साल महंगाई के हिसाब से पेंशन तय होता है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) के आधार पेंशन तय किया जाता है. इस योजना के तहत भी 20 साल का कंट्रीब्यूशन अनिवार्य है.
रिटायरमेंट के बाद दो पार्ट में फंड
सरकारी इक्विटीज और उच्च रेटिंग वाले बांडों में निवेश के माध्यम से निश्चित पेंशन तय होती है.
ज्यादा रिटर्न (Return) के लिए 25% तक इक्विटी में निवेश किया जाता है, ताकि महंगाई के हिसाब से पेंशन मिलती रहे.
तीसरा- पेंशन क्रेडिट
तीसरा और सबसे नया मॉडल ‘पेंशन क्रेडिट‘ है. इसमें मंथली पेंशन (Pension Reform) के लिए क्रेडिट खरीदना होगा, जो 1, 3, या 5 वर्ष के लिए परिपक्वता के साथ आता है. ग्राहक अपनी सेवानिवृत्ति वर्ष, पेंशन लक्ष्य और निवेश योजना का विकल्प तय कर सकते हैं.