सीजी भास्कर, 8 अक्टूबार। कहते हैं – जब मेहनत दिशा पाती है, तो खेती भी समृद्धि की राह दिखाती है। रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड के ग्राम बाह्मनपाली के किसान (Cash Crop Farming Chhattisgarh) राज कुमार साहू ने यही साबित किया है। सीमित संसाधनों और परंपरागत तरीकों से आगे बढ़ते हुए उन्होंने बरबट्टी और खीरा जैसी नकदी फसलों को अपनाया और खेती से आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की।
साहू ने उद्यान विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन, उन्नत बीजों, संतुलित खाद और समय पर सिंचाई व्यवस्था के सहारे अपनी दो एकड़ भूमि में आधुनिक पद्धति से खेती की। एक एकड़ में उन्होंने बरबट्टी की फसल ली, जिससे प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हुआ। बरबट्टी का बाजार भाव औसतन 35 रुपये प्रति किलो रहा। उत्पादन लागत करीब 50 हजार रुपये आने के बाद उन्होंने लगभग 1.50 लाख रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।
बरबट्टी के साथ, साहू ने अपने खेत के दूसरे हिस्से में खीरा की खेती की। जैविक खाद और ड्रिप सिंचाई (Cash Crop Farming Chhattisgarh) के उपयोग से प्रति एकड़ लगभग 120 क्विंटल उत्पादन मिला। खीरा का भाव बाजार में 20 रुपये प्रति किलो रहा। इस फसल से भी उन्होंने करीब 1.20 लाख रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त किया।
दोनों फसलों से कुल मिलाकर साहू ने मात्र दो एकड़ भूमि से 2 लाख 70 हजार रुपये का शुद्ध लाभ कमाया।
यह परिणाम उनके सतत परिश्रम, तकनीकी समझ और कृषि नवाचार को अपनाने की जिद का प्रतीक है।
खेती में नई सोच की झलक
राज कुमार साहू का मानना है कि अब समय आ गया है जब किसानों को पारंपरिक फसलों से आगे बढ़कर फसल विविधिकरण और उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर रुख करना चाहिए।
उनकी सफलता से प्रभावित होकर आसपास के किसान भी अब बरबट्टी, खीरा, मिर्च और टमाटर जैसी नकदी फसलों को अपनाने लगे हैं।
उन्होंने बताया कि सही योजना, वैज्ञानिक सलाह और मेहनत के साथ खेती को एक लाभकारी व्यवसाय (Cash Crop Farming Chhattisgarh) में बदला जा सकता है। इस सफलता ने न सिर्फ उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि स्थानीय स्तर पर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा भी बन गई है।