सीजी भास्कर, 08 अक्टूबर। राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग (Education Quality Campaign) द्वारा मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के अंतर्गत शालाओं का सामाजिक अंकेक्षण प्रारंभ किया गया है। इस अंकेक्षण का आयोजन राज्य के सभी 58 हजार शालाओं में 6 से 8 अक्टूबर 2025 तक किया जा रहा है।
स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव ने प्रदेश के सभी जिला एवं विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि सामाजिक अंकेक्षण केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह बच्चों की शिक्षा की वास्तविक स्थिति जानने और उसे सुधारने का अवसर है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अधिकारी और शिक्षक को यह सुनिश्चित (Education Quality Campaign) करना चाहिए कि समुदाय की भागीदारी सक्रिय हो और अंकेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर तुरंत सुधारात्मक कदम उठाया जाए। शिक्षा मंत्री श्री यादव ने यह भी कहा कि यह अभियान शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसमें समाज के हर वर्ग की भागीदारी अपेक्षित है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर फोकस
इस अभियान का उद्देश्य विद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के घटकों का त्वरित क्रियान्वयन कर बच्चों की सीखने की उपलब्धियों में सुधार लाना है। सामाजिक अंकेक्षण के माध्यम से समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित (Education Quality Campaign) कर शिक्षा की गुणवत्ता पर ठोस प्रभाव लाने का प्रयास किया जा रहा है।
ग्राम सभा से मिली सहमति, बनी सामाजिक अंकेक्षण टीमें
2 अक्टूबर 2025 को आयोजित ग्राम सभा में विद्यालयों में सामाजिक अंकेक्षण के आयोजन के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकृति दी गई। इसके बाद प्रत्येक शाला के लिए सामाजिक अंकेक्षण टीमों का गठन किया गया है, जिनमें निकटवर्ती विद्यालय के शिक्षक को टीम लीडर तथा स्थानीय समुदाय से शिक्षा में रुचि रखने वाले सदस्यों को शामिल किया गया है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की भूमिका
सामाजिक अंकेक्षण हेतु प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं हाई-हायर सेकेंडरी स्तर पर प्रश्नावली तैयार करने और प्रशिक्षण देने का कार्य राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा किया गया है। समग्र शिक्षा इस कार्यक्रम (Education Quality Campaign) के नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है।
20 प्रमुख प्रश्नों पर स्कूलों का मूल्यांकन
सामाजिक अंकेक्षण के दौरान समुदाय से कुल 20 प्रश्नों पर जानकारी एकत्र की जा रही है। इसमें बच्चों की पठन क्षमता, गणितीय कौशल, शिक्षकों की उपस्थिति, पुस्तकालय उपयोग, परीक्षा परिणाम, स्थानीय भाषा के उपयोग जैसे पहलू शामिल हैं। इसी के साथ समुदाय से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर विद्यालयों की स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा।
समुदाय की भागीदारी और न्यौता भोज की परंपरा
विद्यालयों द्वारा सामाजिक अंकेक्षण की तिथि तय कर समुदाय के सदस्यों को उपस्थिति हेतु आमंत्रित किया गया है। विशेष रूप से, यदि कोई परिवार अपने सगे-संबंधी की स्मृति में “न्यौता भोज” आयोजित करना चाहे तो वह भी इसी दिन किया जा सकता है। जिलों के प्रदर्शन की समीक्षा के दौरान समुदाय की उपस्थिति और आयोजित न्यौता भोजों की संख्या को भी आकलन में शामिल किया जाएगा।
ऑनलाइन प्रविष्टि और समीक्षा प्रक्रिया
अंकेक्षण के बाद भरे गए प्रपत्रों पर समुदाय के हस्ताक्षर लेकर उन्हें विकासखंड स्तर पर जमा किया जाएगा, जहाँ ऑनलाइन प्रविष्टि की जाएगी। विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण कर कमजोर प्रदर्शन करने वाली शालाओं की सूची तैयार की जाएगी। इन शालाओं का निरीक्षण जनप्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा किया जाएगा ताकि आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।
सुधार कार्यों में समुदाय का सहयोग
सामाजिक अंकेक्षण के दौरान जिन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता पाई जाएगी, वहाँ समुदाय से इच्छुक प्रतिभागियों की सूची बनाकर उनके सहयोग से सुधार कार्य आरंभ किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त शिक्षकों की क्षमता वृद्धि तथा बोर्ड परीक्षा परिणामों में सुधार हेतु विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे।
20 अक्टूबर तक उपलब्ध होगी रिपोर्ट
सामाजिक अंकेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर 20 अक्टूबर 2025 तक जिलों को कमजोर प्रदर्शन करने वाली शालाओं की सूची उपलब्ध करा दी जाएगी। इसके आधार पर संबंधित अधिकारियों को स्कूल आबंटित किए जाएंगे ताकि वे सुधारात्मक कार्यवाही सुनिश्चित कर सकें।
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत किया जा रहा यह सामाजिक अंकेक्षण न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह समुदाय को भी विद्यालयों की प्रगति में सहभागी बनने का अवसर प्रदान करता है।