सीजी भास्कर, 08 अक्टूबर। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित सुजलाम भारत – जल संचय कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के अभिनव मिशन जल रक्षा (Water Conservation Model) को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना प्राप्त हुई। नई दिल्ली स्थित कन्वेंशन हॉल में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में जिले के जल संरक्षण प्रयासों और नवाचारों का विस्तृत प्रजेंटेशन अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर से आए जल विशेषज्ञ, नीति आयोग के प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
मंत्रालय की डायरेक्टर अर्चना वर्मा ने राजनांदगांव के मिशन जल रक्षा मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल अन्य जिलों के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो जल संरक्षण (Water Conservation Model) की दिशा में एक सशक्त उदाहरण बन चुका है। जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरूचि सिंह ने जिले में चल रही अभिनव जल संरक्षण योजनाओं और सामुदायिक सहभागिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
वैज्ञानिक पद्धति से बदल रही जल की तस्वीर
राजनांदगांव जिले का मिशन जल रक्षा मॉडल वैज्ञानिक, तकनीकी और सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है। जिले के चार में से तीन ब्लॉक पहले सेमी क्रिटिकल जोन में थे, जहां भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा था। इस चुनौती को देखते हुए जिले में परकोलेशन टैंक, रिचार्ज शाफ्ट और जल संरचनाओं का निर्माण हाइड्रोजियोलॉजिकल मैपिंग, सैटेलाइट जीआईएस इमेजरी (Water Conservation Model) और मैपिंग तकनीक के जरिए किया गया। इन प्रयासों से वर्षा जल का अधिकतम उपयोग संभव हुआ और भू-जल स्तर में सुधार देखा जा रहा है।
स्थानीय सामग्रियों से कम लागत वाले जल संरचनाएं बनाकर निर्माण लागत में कमी लाई गई। इसके साथ ही, ग्रामीणों को जल साक्षरता, फसल चक्र परिवर्तन और सामुदायिक स्वच्छता से जोड़ते हुए इस अभियान को जन-आंदोलन का रूप दिया गया।
डेढ़ लाख महिलाएं बनीं जल बचाने की मिसाल
इस मिशन का सबसे खास पहलू यह है कि 1.5 लाख से अधिक महिलाएं इस जल अभियान का अभिन्न हिस्सा हैं। पद्मश्री फुलबासन बाई के नेतृत्व में नीर-नारी जल यात्रा (Water Conservation Model) के तहत महिलाओं ने गांव-गांव में जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और जल स्वच्छता की अलख जगाई है। मनरेगा के तहत बनाई गई लो-कॉस्ट संरचनाओं और तालाबों के जरिए भू-जल पुनर्भरण की दिशा में प्रभावशाली परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
सैटेलाइट आधारित जीआईएस इमेजरी और मैपिंग से जल संरचनाओं के प्रभाव का आकलन किया जा रहा है, जिससे यह साबित हो रहा है कि राजनांदगांव जिले के कई इलाकों में अब जल स्तर बढ़ा है और खेतों में फसलों की सिंचाई सुचारू रूप से हो रही है।
माइक्रो रिचार्ज और जल गुणवत्ता निगरानी
मिशन जल रक्षा के दूसरे चरण में अब माइक्रो रिचार्ज मैपिंग, संस्थागत वर्षा जल संचयन प्रणाली और जल गुणवत्ता मॉनिटरिंग (Water Conservation Model) पर काम शुरू किया जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता में सुधार होगा। यह मॉडल अब सुजलाम भारत अभियान के तहत अन्य राज्यों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण बनेगा, जो जल संरक्षण (Water Conservation Model) और समुदाय की भागीदारी से “हर बूंद का संचित उपयोग” सुनिश्चित करने की दिशा में देश को आगे बढ़ाएगा।