सीजी भास्कर, 11 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ की 9 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों (Political Party Deregistration) की मान्यता पर अब संकट गहराता जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इन दलों के खिलाफ सुनवाई पूरी कर ली है और अंतिम निर्णय अब केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि जिन दलों ने बीते तीन वित्तीय वर्षों की लेखा-परीक्षित रिपोर्ट और चुनावी खर्च का ब्योरा निर्धारित समयसीमा में जमा नहीं किया है, उनकी मान्यता रद्द हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, जिन दलों की मान्यता खतरे में है, उनमें भारत भूमि पार्टी, भारतीय जनता सेक्युलर पार्टी, भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच, छत्तीसगढ़ विकास गंगा राष्ट्रीय पार्टी, छत्तीसगढ़ समाज पार्टी, छत्तीसगढ़िया पार्टी, पिछड़ा समाज पार्टी यूनाइटेड और राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी शामिल हैं। इन दलों ने वित्तीय रिपोर्ट (Political Party Deregistration) और चुनावी खर्च विवरण निर्धारित समय 30 नवंबर 2022, 31 दिसंबर 2023 और 15 दिसंबर 2024 तक जमा नहीं किया।
इसके अलावा, आयोग को यह भी जानकारी मिली कि इन पार्टियों ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाग लेने के बावजूद तय अवधि (75 या 90 दिनों) के भीतर चुनावी खर्च रिपोर्ट (Political Party Deregistration) भी नहीं सौंपी। निर्वाचन आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
9 अक्टूबर 2025 को आयोजित सुनवाई में कुछ दलों की ओर से जवाब नहीं आने पर राज्य निर्वाचन आयोग ने यह मामला केंद्रीय निर्वाचन आयोग (Political Party Deregistration) को भेज दिया है। केंद्रीय आयोग अब एक महीने के भीतर यह तय करेगा कि इन दलों की मान्यता बरकरार रहेगी या इन्हें पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से हटा दिया जाएगा।
क्या कहता है नियम
धारा 29ए के अनुसार, कोई भी पंजीकृत राजनीतिक दल यदि अपने सालाना ऑडिट रिपोर्ट और चुनावी खर्च का ब्योरा समय पर जमा नहीं करता, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। यह कदम राजनीतिक पारदर्शिता और वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अनिवार्य माना गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन 9 दलों की मान्यता रद्द होती है, तो राज्य में सक्रिय क्षेत्रीय राजनीति को बड़ा झटका लगेगा और छोटे संगठनों का अस्तित्व खतरे में आ सकता है।