सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर | बिलासपुर जिले के स्कूलों में छात्रों की परीक्षा तैयारी को और प्रभावी बनाने के लिए Mentor Teacher Program Bilaspur शुरू किया गया है।
इस नई पहल के तहत अब हर छात्र को एक मेंटर शिक्षक (Mentor Teacher) सौंपा जाएगा, जो उसके अध्ययन, उत्तर लेखन (Answer Writing Practice) और समय प्रबंधन (Time Management Skills) पर काम करेगा।
लक्ष्य साफ है — बोर्ड परीक्षा परिणामों में सुधार लाना और छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाना।
हर छात्र को मिलेगा व्यक्तिगत मेंटर शिक्षक (Mentor Teacher)
अब किसी भी छात्र को परीक्षा के समय अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
हर स्कूल में कक्षा 5वीं, 8वीं, 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए मेंटर टीचर (Mentor Teacher Program Bilaspur) नियुक्त किए जाएंगे।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कक्षा में 12 छात्र और 4 शिक्षक हैं, तो हर शिक्षक को तीन-तीन छात्रों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
यह समूह उपस्थिति पंजी के क्रम के अनुसार तय होगा।
सीनियर शिक्षक पहले तीन बच्चों के साथ शुरुआत करेंगे, उसके बाद अगला समूह दूसरे शिक्षक को दिया जाएगा।
उत्तर लेखन का अभ्यास और समय प्रबंधन पर जोर
हर दिन एक घंटे का विशेष सत्र होगा, जिसमें मेंटर शिक्षक छात्रों को तीन से चार प्रश्नों का लेखन अभ्यास कराएंगे।
यह अभ्यास विषयवार घुमावदार तरीके से होगा — एक दिन गणित, अगले दिन हिंदी, फिर विज्ञान या समाजशास्त्र।
सप्ताह भर में सभी विषय कवर हो जाएंगे ताकि छात्रों की तैयारी संपूर्ण हो सके।
छात्रों को एक दिन पहले प्रश्न दिए जाएंगे ताकि वे घर से तैयारी करके आएं।
हर विषय की अलग कॉपी तैयार की जाएगी, जिससे अभ्यास क्रमबद्ध और स्पष्ट रहे।
श्रेष्ठ छात्रों की कॉपियां होंगी उदाहरण के रूप में
परीक्षा में उच्च अंक लाने वाले छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं (Answer Sheets) उदाहरण के रूप में कक्षा में दिखाई जाएंगी।
इससे अन्य विद्यार्थी यह समझ सकेंगे कि किस तरह उत्तर को प्रभावशाली और व्यवस्थित ढंग से लिखा जा सकता है।
यह तरीका छात्रों में आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धा दोनों को बढ़ावा देगा।
मूल्यांकन में श्रेष्ठ छात्रों का सहयोग
कक्षा 12वीं में संकायवार — विज्ञान, वाणिज्य और कला — छात्रों के समूह बनाए जाएंगे।
प्रत्येक समूह के लिए अलग विषय-विशेष व्याख्याता जिम्मेदार होंगे।
यदि किसी संकाय में 30 छात्र हैं, तो तीन शिक्षकों के बीच समान रूप से बांटे जाएंगे।
मूल्यांकन के कार्य में पांच श्रेष्ठ छात्रों को शामिल किया जाएगा, ताकि वे दूसरों की सहायता कर सकें और एक सहयोगी माहौल बन सके।
शिक्षकों की जवाबदेही तय, परिणामों पर निगरानी
सरकार ने शिक्षकों की जवाबदेही भी स्पष्ट कर दी है।
जिन स्कूलों का परिणाम (Exam Result) 50% से कम रहेगा, वहां प्राचार्य और संबंधित विषय के शिक्षक की समीक्षा होगी।
यदि लगातार दो वर्षों तक 50% से कम परिणाम आता है, तो उनकी वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है या अनुशासनात्मक कार्रवाई भी संभव है।
यह निर्णय सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक भी विद्यार्थियों की सफलता में पूरी तरह संलग्न रहें।
कमजोर छात्रों के लिए तैयार होगा विशेष प्रश्न सेट
कमजोर छात्रों की पहचान कर उनके लिए 25-25 प्रश्नों का विशेष सेट तैयार किया जाएगा।
इन प्रश्नों पर बार-बार अभ्यास कराया जाएगा, ताकि कमजोर छात्र भी आत्मविश्वास के साथ परीक्षा में उतर सकें।
यह अभ्यास जनवरी और फरवरी में चलेगा।
इन्हीं महीनों में दो-दो प्री-बोर्ड परीक्षाएं (Pre-Board Tests) भी कराई जाएंगी, जिससे वास्तविक परीक्षा जैसी स्थिति बन सके।
उद्देश्य – भयमुक्त परीक्षा और बेहतर परिणाम
इस पूरे अभियान का मकसद छात्रों से परीक्षा का डर खत्म करना और उन्हें एक “Practice-Oriented” लर्निंग कल्चर देना है।
(Mentor Teacher Program Bilaspur) के ज़रिए छात्र लेखन, तैयारी और आत्मविश्वास — तीनों मोर्चों पर मजबूत बनेंगे।
शिक्षकों के मार्गदर्शन में बच्चे न सिर्फ बेहतर परिणाम देंगे, बल्कि सीखने की प्रक्रिया को भी आनंददायक बनाएंगे।