सीजी भास्कर, 15 अक्टूबर। प्रदेश में कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान अंतिम दौर में प्रवेश कर चुका है और इस बार प्रक्रिया में खासतौर पर पर जोर दिख रहा है। जिलों में नये जिलाध्यक्षों के चयन के लिए जो तैरती बहस और स्थानीय समीकरण बन रहे हैं, उन पर प्रत्यक्ष निगरानी राहुल गांधी की एक विशेष टीम कर रही है। सूत्रों का कहना है कि यह टीम हर गतिविधि की रिपोर्ट सीधे शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा रही है, ताकि चयन में पारदर्शिता और कार्यकर्ता-केंद्रितता बनी रहे। (Congress Revamp)
पार्टी के अंदरूनी घेरे बताते हैं कि रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और राजनांदगांव के कुछ बैठकों में ऐसे अनजान चेहरे देखे गए जिनका सम्बन्ध न तो स्थानीय पदाधिकारियों से था और न ही पारंपरिक दावेदारों से — बल्कि वे चुपचाप संवाद प्रक्रिया, दावेदारों के समर्थक-जाल और स्थानीय गुटबाजी की सूक्ष्म हलचल की पड़ताल कर रहे थे। ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी इस बार संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूती देने और किसी प्रकार की सिफारिश या दबाव से बचाकर, ईमानदारी के साथ नियुक्तियाँ चाहते हैं। (Congress Revamp)
एआइसीसी लेगा अंतिम फैसला — दिशानिर्देशों के मुताबिक
एआइसीसी के उदयपुर चिंतन शिविर में तय दिशा-दर्शकों के अनुसार, 60 वर्ष से अधिक आयु के नेताओं के आवेदनों पर इस बार विचार नहीं किया जा रहा है। पर्यवेक्षकों की ओर से हर जिले से अध्यक्ष पद के लिए लगभग छह नामों का पैनल भेजा जाएगा, जिस पर अंतिम निर्णय एआइसीसी द्वारा लिया जाएगा। स्थानीय पर्यवेक्षक पहले-हाथ जानकारी जुटाकर, उन रिपोर्टों का मिलान राहुल गांधी की टीम द्वारा भेजी जा रही रिपोर्टों से करवा सकते हैं; जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ नेताओं से पूछताछ भी सम्भव है। इस प्रक्रिया का मकसद एक ऐसा पैनल तैयार करना है जो क्षेत्रीय संतुलन, कार्यकर्ता समर्थन और सामूहिक स्वीकृति तीनों को ध्यान में रखे।
रायपुर में ब्लॉकवार रायशुमारी और वन-टू-वन चरण
रायपुर शहर एवं ग्रामीण अध्यक्षों के लिए ब्लॉकवार रायशुमारी अब पूरी हो चुकी है। अब वन-टू-वन इंटरैक्शन का चरण शुरू हो गया है, जहां पर्यवेक्षक और समन्वयक हर दावेदार से व्यक्तिगत रूप से बात कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं को सुन रहे हैं और स्थानीय समस्याओं व संभावनाओं का आकलन कर रहे हैं। एआइसीसी के पर्यवेक्षक प्रफुल्ल गुडाधे ने धरसींवा विधानसभा के धरसींवा, खरोरा और तिल्दा ब्लॉकों के पदाधिकारियों से विचार विमर्श कर बताया कि यह अभियान “कार्यकर्ता की राय को प्राथमिकता” देने वाला है।
Congress Revamp स्थानीय दावेदार और समीकरण
ग्रामीण अध्यक्ष की दौड़ में नागभूषण राव, उधो राम वर्मा, प्रवीण साहू और पप्पू बंजारे जैसे नाम प्रमुख माने जा रहे हैं। स्थानीय कार्यकर्ता बताते हैं कि केवल व्यक्तिगत साख ही नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धता, काम के ट्रैक रिकॉर्ड और पंचायत-स्तर पर समर्थन निर्णायक होगा। शहर और ग्रामीण दोनों ही परिप्रेक्ष्य में यह ध्यान दिया जा रहा है कि चुना गया चेहरा स्थानीय समस्याओं को समझे, संवाद कर सके और पार्टी की नीतियों को जमीन पर लागू कर सके।
कहां है नया अंदाज और क्यों अहम है यह दौर
इस बार की प्रक्रिया में अनजान पर्यवेक्षकों और राहुल गांधी की टीम की सूक्ष्म निगरानी इसीलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि पार्टी चाहती है कि नए जिलाध्यक्ष कार्यकर्ता-केंद्रित हों और स्थानीय स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम करें। पार्टी के अंदर यह भी चर्चा है कि पारदर्शिता बढ़ने से संकेत मिलेंगे कि फैसला सिर्फ व्यक्तिगत सिफारिशों या गठबंधनों पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन और सक्रियता को प्राथमिकता दी जाएगी।
आगे क्या होगा Congress Revamp
अक्टूबर के अंत तक नये जिलाध्यक्षों की सूची आने की संभावना जताई जा रही है। पर्यवेक्षकों की रिपोर्टों, राहुल गांधी टीम के फीडबैक और एआइसीसी के अंतिम विचार के बाद ही पैनल पर मोहर लगेगी। पार्टी के लिए चुनौती यही है कि चयन प्रक्रिया जितनी पारदर्शी होगी, उतना ही पार्टी के स्थानीय प्रदर्शन और संगठनात्मक मजबूती पर सकारात्मक असर पड़ेगा — बशर्ते चुने गए चेहरे कार्यकर्ताओं की आवाज़ बनकर उभरे।