राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में 2,160 पदों में से 1,155 रिक्त
मरीजों के इलाज पर असर, स्थायी नियुक्ति नहीं होने से बढ़ी असुरक्षा
सरकार के नियम को लेकर हाई कोर्ट में चली कानूनी लड़ाई
सीजी भास्कर, 16 अक्टूबर। प्रदेश के शासकीय सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों (Doctor Shortage Crisis Chhattisgarh) में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी अब गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। रायपुर के दाऊ कल्याणसिंह स्नातकोत्तर व रिसर्च केंद्र और बिलासपुर के कुमार साहब स्व. दिलीप सिंह जूदेव शासकीय सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में स्वीकृत 135 पदों में से 95 पद खाली पड़े हैं, यानी 70 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है।
वहीं, राज्य के शासकीय दस मेडिकल कॉलेजों और रायपुर के एकमात्र डेंटल कॉलेज में भी हालात संतोषजनक नहीं हैं। यहां स्वीकृत 2,160 पदों में से 1,155 पद रिक्त हैं जो कुल पदों का 54 प्रतिशत है। डॉक्टरों की कमी के चलते सुपरस्पेशलिटी वार्ड अब सिर्फ नाममात्र के रह गए हैं। मरीजों को या तो सामान्य चिकित्सकों के भरोसे छोड़ा जा रहा है या फिर उन्हें बड़े अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्थायी नियुक्तियां नहीं होने से डॉक्टरों में असुरक्षा की भावना है, जो इस (Doctor Shortage Crisis Chhattisgarh) समस्या का बड़ा कारण बन रही है। रायपुर के डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल से सिर्फ पिछले एक साल में छह से अधिक डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं।
चिकित्सा शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि एमबीबीएस सीटों में बढ़ोतरी के चलते जहां मेडिकल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, वहीं पीजी (स्नातकोत्तर) सीटें सीमित होने से विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार नहीं हो पा रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश में दस शासकीय और चार निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जिनमें एमबीबीएस की 2,180 सीटें हैं। जबकि पीजी की सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 311 और निजी संस्थानों में 186 सीटें ही हैं।
इसके अलावा सरकारी बांड नियम भी डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। यदि समय रहते सरकार ने स्थायी नियुक्तियों और पीजी सीटों में बढ़ोतरी पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।
राजपत्र में प्रकाशित नियम को दी गई है चुनौती
विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से मध्यप्रदेश की तरह वर्ष 2019 में (Doctor Shortage Crisis Chhattisgarh) अधिसूचना जारी की गई थी “छत्तीसगढ़ स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयीन शैक्षणिक आदर्श सेवा भर्ती नियम 2019” (सह संशोधन वर्ष 2020)। इसमें पहले से संविदा में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों को स्वशासी समिति के माध्यम से नियमित करने का प्रावधान है।
लेकिन नियमित चिकित्सकों ने इस नियम को पदोन्नति, वरिष्ठता और प्रशासनिक नियुक्ति पर असर की आशंका के चलते हाई कोर्ट में चुनौती दी है। यह मामला वर्तमान में विचाराधीन है, और इसी कानूनी अड़चन के चलते कई नियुक्तियां अटकी पड़ी हैं।