सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ सरकार ने (Cabinet Rank Chhattisgarh) निगम-मंडल के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को लेकर बड़ा प्रशासनिक फैसला लिया है। गुरुवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी करते हुए 13 प्रमुखों को कैबिनेट मंत्री और 22 को राज्य मंत्री का दर्जा प्रदान किया है। यह फैसला संगठनात्मक संतुलन और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर लिया गया है।
कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाने वाले
आदेश में जिन 13 प्रमुखों को (Cabinet Rank Chhattisgarh) कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है, उनमें प्रमुख नाम हैं अनुराग सिंह देव (अध्यक्ष, गृह निर्माण मंडल), भूपेंद्र सवन्नी (अध्यक्ष, राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण), चंदूलाल साहू (अध्यक्ष, भंडार गृह निगम), केदार नाथ गुप्ता (अध्यक्ष, सहकारी बैंक मर्यादित रायपुर), नीलू शर्मा (अध्यक्ष, पर्यटन मंडल), राजा पांडेय (अध्यक्ष, पाठ्य पुस्तक निगम), राजीव अग्रवाल (अध्यक्ष, स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड), राकेश पांडेय (अध्यक्ष, खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड), रामप्रताप सिंह (अध्यक्ष, भवन एवं अन्य संरचना कर्मकार कल्याण मंडल), राम सेवक पैकरा (अध्यक्ष, राज्य वन विकास निगम), संजय श्रीवास्तव (अध्यक्ष, स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन), सौरभ सिंह (अध्यक्ष, खनिज विकास निगम) और श्रीनिवास राव मद्दी (अध्यक्ष, राज्य बेवरेजेस कार्पोरेशन लिमिटेड)।
राज्य मंत्री का दर्जा पाने वाले
वहीं, राज्य मंत्री श्रेणी में शामिल किए गए (Cabinet Rank Chhattisgarh) 22 प्रमुखों में भरत लाल मटियारा (अध्यक्ष, मधुआ कल्याण बोर्ड), चंद्रशेखर चन्द्राकर (अध्यक्ष, राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम), चन्द्रकान्ति वर्मा (उपाध्यक्ष, राज्य समाज कल्याण बोर्ड), दीपक महस्के (अध्यक्ष, मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन लिमिटेड), ध्रुव कुमार मिर्धा (अध्यक्ष, चर्म शिल्पकार बोर्ड), जितेन्द्र कुमार साहू (अध्यक्ष, राज्य तेलघानी विकास बोर्ड), डॉ. लखन लाल धीवर (उपाध्यक्ष, मछुआ कल्याण बोर्ड), लोकेश कावड़िया (अध्यक्ष, नि:शक्तजन वित्त एवं विकास निगम), मोना सेन (अध्यक्ष, फिल्म विकास निगम), नंदकुमार साहू (अध्यक्ष, रायपुर विकास प्राधिकरण), प्रफुल्ल विश्वकर्मा (अध्यक्ष, लौह शिल्पकार विकास बोर्ड), प्रहलाद रजक (अध्यक्ष, राज्य रजककार विकास बोर्ड), संदीप शर्मा (अध्यक्ष, राज्य खाद्य आयोग) और शालिनी राजपूत (अध्यक्ष, राज्य समाज कल्याण बोर्ड) प्रमुख नाम हैं।
संतुलन साधने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह आदेश संगठनात्मक स्तर पर संतुलन साधने की पहल है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार ने क्षेत्रीय और सामाजिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। इससे न केवल पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं को सम्मान मिला है बल्कि शासन-प्रशासन में उनकी भूमिका भी सशक्त होगी। राज्य सरकार ने कहा कि इस फैसले से निगम-मंडल स्तर पर कार्यों की गति और जवाबदेही दोनों में सुधार आएगा।
प्रशासनिक दृष्टि से बड़ा कदम
यह आदेश प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कैबिनेट और राज्य मंत्री दर्जा मिलने के बाद संबंधित अध्यक्ष अब अपने विभागों से जुड़े निर्णयों में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आने की उम्मीद है। गौरतलब है कि कई निगम-मंडलों में प्रमुख पद पिछले कुछ समय से सक्रिय भूमिका निभा रहे थे, और यह दर्जा अब उन्हें औपचारिक रूप से अधिक अधिकारिक मान्यता देता है।
शासन-प्रशासन में नया संतुलन
राज्य शासन का मानना है कि यह फैसला शासन-प्रशासन के बीच समन्वय और जवाबदेही को मजबूत करेगा। कैबिनेट स्तर के अधिकारी अब नीति निर्धारण में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकेंगे, जबकि राज्य मंत्री स्तर के प्रमुख विभिन्न योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
राजनीतिक रूप से सशक्त संकेत
इस फैसले को आने वाले चुनावी समीकरणों के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों और सामाजिक समूहों से आने वाले प्रमुखों को इस निर्णय में स्थान मिला है। इससे राजनीतिक रूप से संदेश गया है कि सरकार ‘साझेदारी और प्रतिनिधित्व’ के सिद्धांत पर आगे बढ़ रही है।