सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर। शहर से दूर चठीरमा में जिला एवं सत्र न्यायालय (Ambikapur Court Land Dispute) के लिए जमीन आबंटन के प्रशासनिक निर्णय के खिलाफ अधिवक्ता संघ खुलकर मैदान में उतर आया है। अधिवक्ता संघ का कहना है कि यह निर्णय एकतरफा है और इससे पक्षकारों तथा आम नागरिकों को भारी असुविधा होगी।
शुक्रवार को अधिवक्ताओं ने न्यायालयीन कार्यों का बहिष्कार करते हुए रैली निकाली और कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कलेक्टर न्यायालय द्वारा जारी जमीन आबंटन आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की।
अंबिकापुर जिला न्यायालय (Ambikapur Court Land Dispute) के मुख्य प्रवेश द्वार पर धरना देकर अधिवक्ताओं ने प्रशासनिक निर्णय का विरोध किया। अधिवक्ताओं ने कहा कि यह तय करना कि न्यायालय भवन कहां बनेगा, यह प्रशासनिक अधिकारी नहीं बल्कि न्यायिक तंत्र और स्थानीय निकायों के बीच परामर्श का विषय होना चाहिए।
एकतरफा प्रशासनिक निर्णय
कलेक्ट्रेट के समीप स्थित अंबिकापुर जिला एवं सत्र न्यायालय वर्ष 1965 से संचालित है। समय के साथ भवन जर्जर हो चुका है और स्थानाभाव की समस्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसी को देखते हुए शासन ने करीब दो वर्ष पूर्व नवीन न्यायालय भवन (New Court Building Ambikapur) के निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की थी। लोक निर्माण विभाग को एजेंसी नियुक्त की गई थी और भवन का ड्रॉइंग-डिजाइन भी तैयार कर लिया गया था, लेकिन भूमि उपलब्धता का हवाला देकर अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
इस बीच, कलेक्टर न्यायालय ने 14 अक्टूबर को आदेश जारी कर चठीरमा में नई जमीन आबंटित कर दी। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह जगह शहर से दूर है, जिससे न्यायालय आने वाले पक्षकारों, अधिवक्ताओं और आमजनों को असुविधा होगी। इस निर्णय को वे पूरी तरह प्रशासनिक स्वेच्छाचारिता (Administrative Decision Ambikapur) बता रहे हैं। विरोध को आगे बढ़ाने के लिए जिला अधिवक्ता संघ ने एक संघर्ष समिति गठित की है, जो अब आंदोलन की दिशा तय करेगी।
गुलाब कॉलोनी विवाद से बढ़ा तनाव
वर्तमान न्यायालय परिसर के पास गुलाब कॉलोनी (Gulab Colony Ambikapur) स्थित है, जहां शासकीय कर्मचारी रहते हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह भूमि न्यायालय की है और इसी जगह पर नया भवन बनाया जाना चाहिए। अप्रैल महीने में सरगुजा कमिश्नर ने इन आवासों का आबंटन निरस्त कर दिया था, लेकिन छह महीने बाद भी कॉलोनी को खाली नहीं कराया गया।
अधिवक्ताओं का आरोप है कि जब भवन निर्माण के लिए धनराशि पहले ही जारी हो चुकी थी, तो प्रशासन को पहले गुलाब कॉलोनी खाली कराकर उसी भूमि पर निर्माण शुरू कर देना चाहिए था।
सुनवाई से पहले ही जारी हो गया आदेश
अधिवक्ताओं की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि जब चठीरमा में जमीन आबंटन की प्रक्रिया शुरू हुई, तब उन्होंने कलेक्टर न्यायालय में लिखित आपत्ति दर्ज कराई थी। इस पर सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तारीख तय थी, लेकिन उससे पहले ही 14 अक्टूबर को भूमि आबंटन का आदेश जारी कर दिया गया। अधिवक्ताओं ने इसे प्रशासनिक मनमानी बताया है। कलेक्टर ने अधिवक्ताओं को शाम को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। अधिवक्ता संघ ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन (Advocates Protest Ambikapur) की राह अपनाएंगे।