सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर। रायपुर में आयोजित (Cyber Awareness Raipur) कार्यक्रम के दौरान रायपुर सीएसपी पुरानी बस्ती राजेश कुमार देवांगन ने कहा — “युवाएं तकनीक के प्रति अधिक जागरूक हैं क्योंकि वे नई तकनीक को सबसे पहले अपनाते हैं। इनमें से अधिकांश लोग तकनीकी युग में ही पैदा हुए हैं। जब हम किशोरावस्था में थे, तब शायद ही किसी के पास मोबाइल फोन होता था, इसलिए डिजिटल ठगी (Digital Scam Awareness) की संभावना लगभग न के बराबर थी।”
उन्होंने कहा, “अधिकांश धोखाधड़ियां तब होती हैं जब हम जल्दबाज़ी में या परिणामों पर विचार किए बिना कार्य करते हैं। यदि हम सिर्फ पाँच मिनट रुककर सोचें, तो हम ठगे जाने से बच सकते हैं। किसी भी अनजान व्यक्ति या अपने संपर्क सूची में न होने वाले व्यक्ति से आए फ्रेंड-रिक्वेस्ट स्वीकार करने से पहले अवश्य सोचें। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें और डिजिटल रूप से जागरूक बनें। किसी भी आपात स्थिति में तुरंत पुलिस या साइबर सेल हेल्पलाइन (Cyber Helpline India) से संपर्क करें।”
डिजिटल सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता
विदित हो कि भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (Cyber Awareness Raipur) ने रायपुर में “नॉक आउट डिजिटल फ्रॉड” नामक साइबर फ्रॉड जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। यह पहल (Cyber Safety Awareness Program) ऑनलाइन ठगी के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल ठगी के नए तरीकों से अवगत कराना और वित्तीय लेन-देन (Online Transaction Security) को सुरक्षित बनाना है। यह अभियान भारतीय रिज़र्व बैंक के 2024 दिशा-निर्देशों के अनुरूप है, जो एनबीएफसी के लिए धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन, प्रारंभिक पहचान, जवाबदेही और जनसहभागिता पर केंद्रित हैं।
आम वित्तीय धोखाधड़ियों के खिलाफ जागरूकता
यह कार्यक्रम नागरिकों को उन आम वित्तीय धोखाधड़ियों के प्रति सतर्क करता है, जो फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स, व्हाट्सऐप ग्रुप्स या नकली वेबसाइटों के माध्यम से की जाती हैं। बजाज फाइनेंस लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा कि “हमारे उपभोक्ताओं की वित्तीय सुरक्षा सर्वोपरि है। हम सोशल मीडिया, ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों के जरिए साइबर सुरक्षा के प्रति लोगों को लगातार जागरूक कर रहे हैं।”
सुरक्षित रहें डिजिटल दुनिया में
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा
ओटीपी और पिन किसी से साझा न करें।
संदिग्ध ईमेल, लिंक या क्यूआर कोड पर क्लिक न करें।
अज्ञात स्रोतों से कोई ऐप डाउनलोड न करें।
किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत शिकायत (Cyber Crime Helpline 1930) पर करें।
कार्यक्रम में रही बड़ी भागीदारी
इस कार्यक्रम में साइबर पुलिस के चिंतामणि साहू, अमित वर्मा, नितेश सिंह राजपूत समेत कई अधिकारी मौजूद थे। साथ ही कॉलेज छात्रों, ऐलन सेंटर स्टाफ और नागरिकों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। डीजीपी कार्यालय के साइबर यूनिट अधिकारीयों ने बताया कि यह अभियान देशभर में इंटरएक्टिव वर्कशॉप्स और डिजिटल आउटरीच के रूप में जारी रहेगा।