रायपुर | छत्तीसगढ़ में बिजली दरों को लेकर एक नया (Chhattisgarh Electricity Rate Hike) विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में जारी दर संरचना के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा स्टील उद्योगों को दी गई लोड फैक्टर रिबेट (Load Factor Rebate) बढ़ाने से छत्तीसगढ़ स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कंपनी को लगभग ₹1400 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह निर्णय उद्योगों को राहत देने के उद्देश्य से लिया गया बताया गया है, लेकिन अब इसका भार आम उपभोक्ताओं पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
लोड फैक्टर रिबेट क्या है और क्यों बढ़ा विवाद?
लोड फैक्टर रिबेट वह छूट होती है जो बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं को दी जाती है ताकि वे बिजली का उपयोग निरंतर बनाए रखें और लोड में उतार-चढ़ाव कम हो। लेकिन जब इस रिबेट की सीमा बहुत अधिक बढ़ा दी जाती है, तो बिजली कंपनियों को बड़े पैमाने पर राजस्व नुकसान होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यही नुकसान अब घरेलू और छोटे व्यावसायिक उपभोक्ताओं की दरों में वृद्धि कर भरपाई के रूप में किया जा सकता है। यही कारण है कि (Chhattisgarh Electricity Rate Hike) अब एक बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है।
दस्तावेज़ों से खुलासा: 25% तक बढ़ाई गई छूट
छत्तीसगढ़ स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (CSERC) के हालिया दस्तावेज़ों में दर्ज है कि स्टील उद्योगों को दी गई छूट 2024–25 में 10% थी, जिसे 2025–26 में बढ़ाकर 25% कर दिया गया।
“इस बढ़ी हुई रिबेट के कारण कंपनी को लगभग ₹1400 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ,” — यह विवरण दस्तावेज़ों में दर्ज है।
आर्थिक जानकारों का मानना है कि यह निर्णय उद्योगों के दबाव में लिया गया, जिससे सरकारी राजस्व पर गहरा असर पड़ा।
छोटे उद्योगों की नाराज़गी और भेदभाव के आरोप
छत्तीसगढ़ के कई छोटे और मध्यम स्टील उद्योगों ने इस नीति को “भेदभावपूर्ण” करार दिया है। उनका कहना है कि यह रिबेट कुछ चुनिंदा बड़ी कंपनियों के पक्ष में तैयार की गई है, जबकि छोटे प्लांट महंगी बिजली से पहले से ही परेशान हैं।
“हमारे लिए बिजली लागत उत्पादन लागत का सबसे बड़ा हिस्सा है, और अब रिबेट न मिलने से हम प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं,” — एक स्थानीय उद्योगपति ने कहा।
भ्रष्टाचार के आरोप और जांच की मांग
सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि लोड फैक्टर रिबेट बढ़ाने के पीछे कुछ गुप्त सौदेबाजी हुई। हालांकि अब तक इन आरोपों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, परंतु दस्तावेज़ों में राजस्व-हानि दर्ज होना अपने आप में गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
विपक्ष ने मांग की है कि इस नीति पर स्वतंत्र जांच आयोग गठित कर जवाबदेही तय की जाए।
जनता पर संभावित असर — बिजली बिल में बढ़ोतरी तय
बिजली कंपनियों के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि हुए घाटे की भरपाई घरेलू उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों पर डालनी पड़ सकती है। इससे बिजली दरों में 5% से 10% तक वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।
इसका सीधा मतलब यह है कि औद्योगिक रियायतों का बोझ आम उपभोक्ता उठाएगा — और (Chhattisgarh Electricity Rate Hike) सीधे हर घर के बिल में दिखेगा।
सरकार से उठते सवाल: पारदर्शिता पर संदेह
- जब रिबेट सीमा पहले से तय थी, तो उसे 25% तक बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ी?
- क्या इस फैसले से पहले कोई वित्तीय अध्ययन या नीति मूल्यांकन किया गया था?
- ₹1400 करोड़ के नुकसान की भरपाई किससे और कैसे होगी?
- क्या कुछ चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुँचाने के लिए यह नीति बदली गई?
- क्या मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पर कोई समीक्षा आदेश या स्पष्टीकरण जारी किया?
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार
ऊर्जा विभाग के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार फिलहाल नई दर नीति की समीक्षा कर रही है। विभाग का तर्क है कि यह निर्णय औद्योगिक निवेश बढ़ाने और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया।
हालांकि, विभाग यह भी मानता है कि अगर किसी स्तर पर अनियमितता साबित होती है, तो जांच कर जिम्मेदारी तय की जाएगी।
फिलहाल, राज्य की बिजली राजनीति में (Chhattisgarh Electricity Rate Hike) सबसे गर्म मुद्दा बन चुका है।
