क्या आपका फोन आपको सिर्फ कॉल और चैट के लिए जानता है? नहीं। हाल ही में किए गए एक रिसर्च ने खुलासा किया है कि कई (Android Apps Privacy Risk) सिर्फ आपकी लोकेशन नहीं बल्कि आपके बैठने, लेटने या चलने जैसी हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। यानी फोन के सेंसर अब यह भी पहचान लेते हैं कि आप मेट्रो में हैं, पार्क में हैं या घर के कमरे में बैठे हैं।
स्टडी ने खोला राज: GPS डेटा से सबकुछ ट्रैक हो सकता है
नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने एक सिस्टम बनाया है जिसका नाम AndroCon है। यह सिस्टम सिर्फ GPS सिग्नल से ही आपके आसपास के माहौल, कमरे की स्थिति और आपके बॉडी मूवमेंट तक का पता लगा सकता है — वो भी बिना कैमरा या माइक्रोफोन की मदद के। यानी अगर आपने किसी ऐप को “Precise Location” की अनुमति दी है, तो समझ लीजिए आपके फोन को आपसे ज़्यादा आपकी दिनचर्या की जानकारी है।
कैसे करता है काम: GPS बन गया जासूस
रिसर्च के अनुसार, यह सिस्टम छिपे हुए GPS डेटा का उपयोग कर यह समझ लेता है कि व्यक्ति स्थिर है या गतिशील। GPS सिग्नल की सूक्ष्म तरंगों से यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि यूजर घर में है, खुले क्षेत्र में है या फिर भीड़भाड़ वाली जगह पर। कुछ मामलों में तो यह सिस्टम 87% से 99% तक की सटीकता के साथ व्यक्ति की हरकतों की पहचान करने में सक्षम पाया गया।
Privacy Threat: हर Activity पर फोन की निगरानी
अगर आपको लगता है कि फोन सिर्फ आपकी अनुमति से सुन या देख सकता है, तो अब यह भ्रम टूटने वाला है। यह सिस्टम यह भी जान लेता है कि आप अभी बैठे हैं, लेटे हैं, खड़े हैं या किसी वाहन में सफर कर रहे हैं। यहां तक कि यह भी पहचान सकता है कि कमरे में कोई मौजूद है या नहीं। यानी आपकी निजी जिंदगी अब सचमुच “Private” नहीं रह गई है।
क्या करना है यूजर को – ऐसे करें खुद की सुरक्षा
- किसी भी ऐप को precise location access देने से पहले उसके परमिशन सेटिंग्स को जांचें।
- जिन ऐप्स की लोकेशन सर्विस की जरूरत नहीं है, उनकी एक्सेस तुरंत बंद करें।
- समय-समय पर फोन की privacy settings और background permissions की समीक्षा करें।
- अनजान या असामान्य ऐप्स को इंस्टॉल करने से बचें।
क्या कहती है साइबर दुनिया – टेक्नोलॉजी का नया खतरा
टेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिसर्च स्मार्टफोन सुरक्षा की दिशा में चेतावनी है। जब मोबाइल ऐप्स सिर्फ GPS से इतना कुछ जान सकते हैं, तो आगे यह डेटा विज्ञापन, निगरानी या अपराधों में दुरुपयोग तक पहुंच सकता है। इसलिए अब जरूरत है कि यूजर अपनी डिजिटल सीमाओं को समझे और टेक्नोलॉजी को अपने नियंत्रण में रखे, न कि टेक्नोलॉजी आपको नियंत्रित करे।
